चंडीगढ़ : हिंदी फिल्मों का बाजार फिर से गुलजार होने को तैयार है। कोरोना का असर कम हो रहा है और फिल्मों को लेकर दर्शकों में क्रेज बढ़ने लगा है। बाॅलीवुड अपने इस अभियान में फिल्म भवई के साथ आया है, जिसमें राजनीति भी है और रोमांस भी, तो धर्म को लेकर की जाने वाली जद्दोजहद भी दर्शक देख पाएंगे। बात करते हैं फिल्म भवई की, तो स्कैम 92 से कला की दुनिया में चर्चा में आए एक्टर प्रतीक गांधी अपनी इस फिल्म से ही चर्चा के साथ विवादों में आ गए हैं। फिल्म की कहानी पंडित जी (राजेंद्र गुप्ता के) के बेटे राजा राम जोशी (प्रतीक गांधी) की है, जो एक्टर बनना चाहता है। इसलिए जब गुजरात के खाकर में एक थियेटर कंपनी आती है, और मंच पर रामलीला का मंचन करना चाहती है तो राजा राम जोशी को उसमें एक भूमिका मिल जाती है। उसमें रावण का किरदार कर रहे भंवर (अभिमन्यु सिंह) की तबीयत अचानक खराब हो जाती है और यह किरदार राजा राम को मिल जाता है। उसे सीता बनी रानी (अंदृता सिंह) के अपोजिट किरदार निभाने का मौका मिलता है। यहां से रावण और सीता की प्रेम कहानी भी शुरू होती है। इस रामलीला के मंचन के दौरान कई और रोचक घटनाएं होती हैं, जो फिल्म को मनोरंजक बनाती हैं। लेकिन निर्देशक और फिल्म के पटकथा लेखक हार्दिक गज्जर ने फिल्म को व्यंग्यात्मक दृष्टिकोण देने की भी कोशिश की है।
बात करें एक्टिंग की तो प्रतीक गांधी ने सधी हुई अदाकारी दिखाई है। हालांकि कलाकारों के संवाद कई जगह सोचने को मजबूर कर देते हैं। फिल्म का संगीत प्रसाद शास्ते ने दिया है। कुल मिलाकर एक ऐसी फिल्म हमारे बीच आई है, जो गांव वालों का भोलापन तो दिखाती है, साथ ही धर्म को लेकर किए जाने वाले सवालों को भी उठाती है। कुल मिलाकर एक ऐसी फिल्म हमारे बीच आई है, जो गांव वालों का भोलापन तो दिखाती है, साथ ही धर्म को लेकर किए जाने वाले सवालों को भी उठाती है। वैसे फिल्म अपने निर्माण से ही विवाद से घिरी है और इसी वजह से इसका नाम पहले रामलीला रखा गया था, जिसे बदलकर भवई कर दिया गया।
-धर्मपाल