एडहॉक कमेटी रद्द होने से पंचकूला में लोकतंत्र की जीत : चंद्रमोहन बिश्नोई
चंद्रमोहन ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में नगर निगम में चुने गए प्रतिनिधियों के प्रस्तावों को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। सेक्टर-8, 9 और 10 की पेड़ पार्किंग की बकाया राशि, अवैध माइनिंग और निगम भूमि के दुरुपयोग जैसे मामलों में निगम अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत उजागर हो चुकी है, लेकिन अधिकारी और मेयर उन्हें बचाने में जुटे हुए हैं।
उन्होंने कहा कि शहर की सफाई व्यवस्था पूरी तरह चरमरा चुकी है, करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद जगह-जगह कूड़े के ढेर लगे हैं। पंचकूला की सफाई रैंकिंग में गिरावट प्रशासन की नाकामी को दर्शाती है। मानसून के बाद सड़कों की खस्ता हालत और घटिया निर्माण कार्यों ने नगर निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं। धारा 7ए और परिवार पहचान पत्र के मामलों में उन्होंने सरकार की नीतियों को गरीब विरोधी बताया और कहा कि बीपीएल सूची से पात्र परिवारों को बाहर करना असंवेदनशीलता की पराकाष्ठा है। विधायक ने कहा कि वे जनता की आवाज़ बनकर उनके अधिकारों की लड़ाई लड़ते रहेंगे। इस अवसर पर नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष सलीम दबकोरी, पार्षद संदीप सोही, अक्षयदीप, गुरमेल कौर, उषा रानी, गौतम प्रसाद, वरिष्ठ कांग्रेसी नवीन बंसल, मनीष छाछिया, गुरमीत नंबरदार, ओम शुक्ला और पंकज वाल्मीकि सहित अनेक कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
अमृत योजना पर भी विधायक ने उठाए सवाल
अमृत योजना के तहत लगभग 40 करोड़ रुपये की सीवरेज परियोजना को विफल बताते हुए विधायक ने कहा कि जनता के पैसे की खुली लूट हुई है। नगर निगम की भूमि सत्ता से जुड़े लोगों को ट्रस्टों के नाम पर दी जा रही है। उन्होंने कहा कि सेक्टर-19 सहित कई इलाकों में जलभराव और विभागीय समन्वय की कमी के कारण जनता परेशान है। चंद्रमोहन ने कानून व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति पर भी चिंता जताई और कहा कि ‘पंचकूला जैसे शांत जिले में चोरी, लूट, नशाखोरी और आत्महत्या के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, लेकिन पुलिस प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है।’ उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्षी सांसदों, विधायकों और पार्षदों को सरकारी कार्यक्रमों से दूर रखना लोकतंत्र का अपमान है। ‘सरकारी पट्टियों और मंचों से विपक्षी जनप्रतिनिधियों के नाम तक हटा दिए जाते हैं।’
