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पिंजौर के किसान मंडी शिफ्ट करने की मांग, पूर्व चेयरमैन बोले

जब मार्केटिंग बोर्ड ही मंडी का संचालन नहीं कर रहा तो किससे करें शिकायत
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पिंजौर, 22 अप्रैल (निस)

पिंजौर में प्रत्येक बृहस्पतिवार को लगने वाली सब्जी मंडी-किसान मंडी को शिफ्ट या बंद करने की मांग स्थानीय लोगों ने मार्केटिंग बोर्ड से की तो बोर्ड के पूर्व चेयरमैन विजय बंसल ने कहा कि जब मार्केटिंग बोर्ड ही मंडी को संचालित नहीं कर रहा तो लोग किससे बंद करने की मांग कर रहे हैं। विजय बंसल ने पिछले 4 वर्षों से मंडी को अवैध रूप से कुछ प्राइवेट लोगों द्वारा संचालित करने का आरोप लगाते हुए कहा कि अवैध रूप से चलाई जा रही इन मंडियों के कारण प्रतिवर्ष बोर्ड को 36 लाख रुपए तक का चूना लग रहा है। इसलिए किसान और दुकानदारों के लिए बिजली, पानी, सफाई की व्यवस्था नहीं हो पा रही है जिससे मंडी में आने वाले ग्राहकों और किसानों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

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उन्होंने बताया कि इस विषय में उन्होंने एक वर्ष पूर्व मार्केटिंग बोर्ड के तत्कालीन मुख्य प्रशासक को बताया था कि कुछ प्राइवेट लोग मंडी में किसानों और दुकानदारों की पर्चियां काट रहे हैं जो सरासर नियमों की अवहेलना है। उन्होंने बताया कि एग्रीकल्चर मार्केटिंग बोर्ड द्वारा पूरा जिला नोटिफाई किया हुआ है, इसलिए कहीं पर भी केवल मार्केटिंग बोर्ड ही मंडी लगा सकता है। लेकिन लॉकडाउन के बाद बोर्ड ने केवल अपनी जमीन पर लगने वाली मंडी से ही मार्केट फीस वसूलने का निर्णय लिया था जबकि अन्य स्थानों पर नगर निगम कमेटी या अन्य कोई प्राइवेट लोग ही फीस वसूल रहे हैं जो कृषि उपज अधिनियम 1961 की अवहेलना है।

बंसल ने बताया कि वर्ष 1994 में मार्केट कमेटी कालका में अपने चेयरमैन कार्यकाल के दौरान उन्होंने पिंजौर, कालका, पंचकूला में 11 साप्ताहिक मंडियां आरंभ की थी तब किसानों से 5 और दुकानदारों से 10 रुपये की मार्किट फीस ली जाती थी लेकिन अब प्राइवेट लोग दुकानदारों की 100 रुपये तक की पर्ची काट रहे हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार को प्रतिवर्ष कितना चूना लगाया जा रहा है। प्राइवेट लोग पानी, सफाई व्यवस्था का ध्यान नहीं रख रहे। यह मार्किटिंग बोर्ड की जिम्मेदारी होती है। इसी कारण यहां मंडी के आसपास रहने वाले लोगों को गंदगी से बेहाल होना पड़ रहा है।

 

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