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चंडीगढ़ को पंजाब को सौंपने की मांग

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) की 25वीं कांग्रेस के तीसरे दिन कई अहम प्रस्ताव पारित हुए। पंजाब से जुड़े प्रस्ताव में वरिष्ठ नेता हरदेव अरशी ने गुरु तेग बहादुर जी की शहादत के 350वें वर्ष पर श्रद्धांजलि दी। पार्टी ने उन्हें...

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चंडीगढ़ में बुधवार को भाकपा पार्टी की 25वीं कांग्रेस के दौरान संबोधित करते वरिष्ठ नेता डी. राजा।
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भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) की 25वीं कांग्रेस के तीसरे दिन कई अहम प्रस्ताव पारित हुए। पंजाब से जुड़े प्रस्ताव में वरिष्ठ नेता हरदेव अरशी ने गुरु तेग बहादुर जी की शहादत के 350वें वर्ष पर श्रद्धांजलि दी। पार्टी ने उन्हें आस्था, साहस और मानवाधिकारों का प्रतीक बताते हुए कहा कि उनकी शहादत मानव इतिहास की महानतम घटनाओं में से एक है, जो अन्याय और जुल्म के खिलाफ संघर्ष की प्रेरणा देती है। कांग्रेस में एक बड़ा प्रस्ताव चंडीगढ़ से जुड़ा रहा। पंजाब के नेता बलदेव सिंह निहालगढ़ ने कहा कि चंडीगढ़ पंजाबी गांवों को उजाड़कर बसाया गया था। इसलिए इसे पंजाब की राजधानी के रूप में लौटाना न्यायोचित है। पार्टी ने यह भी मांग रखी कि पंजाबी भाषा को चंडीगढ़ की राजभाषा का दर्जा मिले।

आर्थिक और राजनीतिक प्रस्तावों में सीपीआई ने संघीय ढांचे पर खतरे, राज्यों की हिस्सेदारी घटने और केंद्र द्वारा उपकरों में बढ़ोतरी पर चिंता जताई। पार्टी ने निजीकरण की नीतियों, खासकर बिजली क्षेत्र और विशाखापट्टनम स्टील प्लांट के निजीकरण का विरोध किया। उत्तर प्रदेश में हड़तालरत बिजली कर्मचारियों के समर्थन की घोषणा भी की गई।

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पार्टी ने मनरेगा को ग्रामीण सुरक्षा की अहम योजना बताते हुए सालाना 200 दिन का रोजगार और 800 रुपये दैनिक मजदूरी तय करने की मांग की। साथ ही दलितों पर अत्याचारों में बढ़ोतरी पर भाजपा नीतियों को जिम्मेदार ठहराया। कांग्रेस में डी. राजा, अमरजीत कौर और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने भी विचार रखे।

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