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Delhi Air Quality Forecast दिल्ली का वायु प्रदूषण पूर्वानुमान सिस्टम हुआ और मजबूत

दिल्ली की हवा के हालात पर नजर रखने वाला एयर क्वालिटी अर्ली वार्निंग सिस्टम (AQEWS) अब और सटीक साबित हो रहा है। काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, यह सिस्टम सर्दियों में ‘बहुत खराब...

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दिल्ली की हवा के हालात पर नजर रखने वाला एयर क्वालिटी अर्ली वार्निंग सिस्टम (AQEWS) अब और सटीक साबित हो रहा है। काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, यह सिस्टम सर्दियों में ‘बहुत खराब और उच्च’ श्रेणी की वायु गुणवत्ता (AQI 300 से ऊपर) का 80 प्रतिशत से अधिक बार सही पूर्वानुमान लगाने में सफल रहा।

रिपोर्ट के अहम निष्कर्ष

  • ‘बहुत खराब और उच्च’ वायु गुणवत्ता (300 से ऊपर AQI):
  • 2023-24 में 92 में से 83 दौर का सही अनुमान।
  • 2024-25 में 58 में से 54 दौर का सटीक पूर्वानुमान।
  • ‘गंभीर’ श्रेणी (400 से अधिक AQI):
  • 2023-24 में 15 में से केवल 1 दिन सही अनुमान।
  • 2024-25 में 14 में से 5 दिन का सही पूर्वानुमान, यानी लगभग पांच गुना सुधार।

सीईईडब्ल्यू के अध्ययन के अनुसार, इस सिस्टम की सटीकता नीति निर्माताओं और प्रशासन को समय रहते कदम उठाने में मदद करती है, जैसे निर्माण कार्यों पर रोक, यातायात सीमित करना और स्कूल गतिविधियां नियंत्रित करना।

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विशेषज्ञों की राय

सीईईडब्ल्यू के प्रोग्राम लीड डॉ. मोहम्मद रफीउद्दीन के मुताबिक, ‘दिल्ली का अर्ली वार्निंग सिस्टम वाकई भरोसेमंद संकेत दे रहा है। अगर इसमें अपडेटेड इमीशन इनवेंट्री और सार्वजनिक डेटा एक्सेस जुड़ जाएं तो प्रदूषण के कारणों को और स्पष्ट समझा जा सकेगा और बेहतर नीतियां बनेंगी।’

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सिस्टम का विकास और भविष्य की राह

AQEWS को 2018 में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने शुरू किया था। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेट्रोलॉजी (आईआईटीएम) और भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) इसका संचालन करते हैं।

2021 से इसमें डिसीजन सपोर्ट सिस्टम (डीएसएस) भी जोड़ा गया, जो सेक्टोरल और रीजनल प्रदूषण स्रोतों की पहचान करता है। वर्तमान में यह केवल सर्दियों में सक्रिय है, लेकिन विशेषज्ञ इसे सालभर चलाने और पब्लिक ट्रांसपोर्ट सुधार जैसे मॉडलिंग परिदृश्यों को शामिल करने की सिफारिश कर रहे हैं।

सीईईडब्ल्यू का सुझाव

  • हर 2-3 साल में नेशनल इमीशन इनवेंट्री को अपडेट करना।
  • ओपन-एक्सेस डेटा उपलब्ध कराना, ताकि शोधकर्ता स्वतंत्र आकलन कर सकें।
  • हाई-रिजोल्यूशन मॉडलिंग और कंप्यूटिंग में निवेश बढ़ाना।
  • यह रिपोर्ट साफ करती है कि दिल्ली का AQEWS और DSS न केवल चेतावनी देने वाला, बल्कि समय रहते प्रदूषण कम करने की दिशा में कदम उठाने वाला प्रभावी उपकरण बन सकता है।

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