Defense Technology इंजीनियरिंग छात्रों के लिए नया मौका: अब पढ़ सकेंगे ‘डिफेंस टेक्नोलॉजी’
Defense Technology देश में आत्मनिर्भर भारत अभियान को गति देने और रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी क्षमताओं को मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) ने डिफेंस टेक्नोलॉजी में मॉडल करिकुलम लॉन्च...
Defense Technology देश में आत्मनिर्भर भारत अभियान को गति देने और रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी क्षमताओं को मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) ने डिफेंस टेक्नोलॉजी में मॉडल करिकुलम लॉन्च किया है। अब इंजीनियरिंग छात्र विशेष विषयों के साथ डिफेंस इनोवेशन और मैन्युफैक्चरिंग की पढ़ाई कर सकेंगे।
करिकुलम की खास बातें
- विशेष विषय शामिल : एरोनॉटिकल सिस्टम, नेवल टेक्नोलॉजी, वेपन सिस्टम, साइबर सिक्योरिटी और एडवांस्ड मटीरियल्स।
- प्रैक्टिकल लर्निंग: छात्रों के लिए फील्ड विजिट, सेमिनार और लैब एक्सपोजर का प्रावधान।
- करियर स्कोप : रक्षा निर्माण उद्योग, डीआरडीओ और सशस्त्र बलों की जरूरतों के अनुरूप तैयार पाठ्यक्रम।
- नवाचार पर जोर: इंटरडिसिप्लिनरी लर्निंग और इनोवेशन को बढ़ावा।
विशेषज्ञों की राय
एआईसीटीई चेयरमैन प्रो. टीजी सीथाराम ने कहा कि भारत रक्षा क्षेत्र में ऐतिहासिक बदलाव से गुजर रहा है। आत्मनिर्भर भारत के इस दौर में हमें ऐसे युवाओं की जरूरत है जो न सिर्फ तकनीकी रूप से सक्षम हों बल्कि इनोवेशन में भी आगे हों। यह करिकुलम राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करेगा और स्वदेशी क्षमताओं को बढ़ाएगा।
पूर्व डीआरडीओ प्रमुख डॉ. जी. सतीश रेड्डी ने कहा कि करिकुलम सशस्त्र बलों, उद्योग, अकादमिक जगत और डीआरडीओ से विचार-विमर्श के बाद तैयार किया गया है। इसमें छात्रों को प्रैक्टिकल अनुभव दिलाने पर विशेष ध्यान दिया गया है।
एसआईडीएम अध्यक्ष राजिंदर सिंह भाटिया ने कहा कि अब तक उच्च शिक्षा में डिफेंस प्रोडक्शन से जुड़े विशेष पाठ्यक्रम सीमित थे। यह पहल उद्योग की जरूरतों और छात्रों की क्षमताओं के बीच की खाई को पाटेगी।
क्यों है यह कदम अहम?
- भारत को वैश्विक रक्षा शक्ति बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल।
- इंजीनियरिंग छात्रों के लिए रोजगार और रिसर्च के नए अवसर।
- डिफेंस सेक्टर में इंडस्ट्री-रेडी स्किल्ड मैनपावर का निर्माण।
- आत्मनिर्भर भारत को रक्षा उत्पादन में नई मजबूती।