क्या टाइप-2 डायबिटीज जीवनभर झेलने वाली बीमारी है? शायद नहीं। पीजीआई चंडीगढ़ की नयी स्टडी ‘डायारेम-1’ ने दिखाया है कि अगर सही समय पर सही कदम उठाए जाएं, तो डायबिटीज से ‘रोगमुक्ति’ मुमकिन है। डायबिटीज को ठीक करने का मतलब अब केवल ब्लड शुगर को कंट्रोल करना नहीं, बल्कि बिना किसी दवा के लंबे समय तक ब्लड शुगर को सामान्य बनाए रखना है। पीजीआई की इस शोध में शामिल मरीजों में से हर तीन में से एक व्यक्ति पूरी तरह दवा से मुक्त हो गया-यानी रोगमुक्त।
स्टडी के प्रमुख तथ्य
उम्र : 18 से 60 साल
डायबिटीज का इतिहास : 6 साल से कम
इलाज : आधुनिक दवाएं + जीवनशैली में बदलाव
नतीजा : रोगमुक्ति दर लगभग 33% जीवनशैली में सुधार और वजन घटाने से शरीर फिर से इंसुलिन के प्रति संवेदनशील हुआ। पीजीआई की शोध टीम के अनुसार, सिर्फ 5 किलो वजन घटाने से पैंक्रियाज और लिवर में जमा फैट कम हो गया और शरीर फिर से सामान्य रूप से काम करने लगा।
नयी दवाएं, नयी सोच
पुरानी दवाएं जहां सिर्फ ब्लड शुगर को घटाती थीं, वहीं वे वजन बढ़ाने और साइड इफेक्ट्स जैसी समस्याएं भी पैदा करती थीं। नयी दवाएं वजन घटाती हैं। लिवर व किडनी को सुरक्षित रखती हैं और रोगमुक्ति की संभावना को बढ़ाती हैं।
क्या यह हर किसी के लिए है
नहीं, लेकिन लाखों मरीजों के लिए यह एक नई शुरुआत हो सकती है। अगर आपको हाल ही में डायबिटीज हुई है, तो यह रिपोर्ट आपके लिए जिंदगी बदलने वाली खबर है। अगर आपको यह बीमारी कई वर्षों से है तब भी उम्मीद खत्म नहीं होती। आप अपना वजन घटाएं, चलना शुरू करें। खानपान बदलें तो आपको फर्क जरूर पड़ेगा।
अब अगला कदम : ‘डायारेम-2’ : पीजीआई अब ‘डायारेम-2’ स्टडी शुरू कर रहा है, जिसमें ज्यादा मरीजों को शामिल किया जाएगा। उन्हें लंबी अवधि तक फॉलो किया जाएगा। यह समझने की कोशिश की जाएगी कि रोगमुक्ति को लंबे समय तक कैसे बनाए रखा जाए।
डायबिटीज अब जीवनभर की सजा नहीं : डॉ. रमा वालिया
‘हमने वर्षों तक टाइप-2 डायबिटीज को सिर्फ एक ‘मैनेज’ करने वाली बीमारी माना, लेकिन अब वक्त है सोच बदलने का। अगर शुरुआत में ही सही इलाज, सही दवाएं और अनुशासित जीवनशैली अपनाई जाए, तो कई मरीज बिना दवा के स्वस्थ रह सकते हैं। हम यह नहीं कह रहे कि हर मरीज को रोगमुक्ति मिलेगी, लेकिन यह ज़रूर कह रहे हैं कि यह संभव है और हमें इसी सोच के साथ आगे बढ़ना चाहिए। इलाज अब सिर्फ शरीर का नहीं, सोच का भी है।