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लिट फेस्ट 2025 का दूसरा दिन : स्पिरिचुअल कॉर्ड्स’ में जीवन, चुनाव और चेतना पर गहन मंथन

लिटरेटी चंडीगढ़ लिट फेस्ट 2025 के दूसरे दिन द लेक क्लब का माहौल आध्यात्मिक ऊर्जा और पौराणिक कथाओं के संगम से भर उठा। ‘स्पिरिचुअल कॉर्ड्स स्टोरीज ऑफ चेंज एंड चॉइस’ शीर्षक सत्र में प्रसिद्ध पौराणिक कथाकार व ज्योतिषी शालिनी मोदी...

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लिटरेटी चंडीगढ़ लिट फेस्ट 2025 में ‘स्पिरिचुअल कॉर्ड्स’ सत्र के दौरान मंच पर संवाद करती पौराणिक कथाकार शालिनी मोदी और सत्र संचालिका अन्नु रानी शर्मा। -ट्रिब्यून फोटो
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लिटरेटी चंडीगढ़ लिट फेस्ट 2025 के दूसरे दिन द लेक क्लब का माहौल आध्यात्मिक ऊर्जा और पौराणिक कथाओं के संगम से भर उठा। ‘स्पिरिचुअल कॉर्ड्स स्टोरीज ऑफ चेंज एंड चॉइस’ शीर्षक सत्र में प्रसिद्ध पौराणिक कथाकार व ज्योतिषी शालिनी मोदी और आध्यात्मिक गुरु-कवि कृष्णपद दास जी ने जीवन और चेतना के गहरे संबंधों पर संवाद किया। कार्यक्रम का संचालन कवयित्री अन्नु रानी शर्मा ने किया।

संवाद की शुरुआत शालिनी मोदी ने महाभारत के चरित्र अश्वत्थामा की कहानी से की। उन्होंने दिव्य जन्म, युद्ध की विभीषिका, अमरता का अभिशाप और गलत चुनावों के परिणाम इन पहलुओं को जोड़ते हुए बताया कि हर इंसान अपने निर्णयों से ही अपने जीवन की दिशा तय करता है। उन्होंने कहा कि पौराणिक कथाएं केवल कहानी नहीं, बल्कि हमारे भीतर के चुनावों और संघर्षों का प्रतिबिंब हैं। कृष्णपद दास जी ने वैष्णव दर्शन के दृष्टिकोण से मन के ‘क्लेश’ यानी विकारों पर प्रकाश डाला। उन्होंने भय, असुरक्षा और राग-द्वेष जैसी भावनाओं को मन की सबसे बड़ी बाधाएं बताया। पैनल में मौजूद कवियों ने भी बदलाव और विकल्पों पर अपनी कविताएं सुनाकर सत्र को संवेदना और विचार के नए आयाम दिए। पूरे सत्र में यह संदेश उभरकर सामने आया कि जीवन में परिवर्तन बाहरी नहीं, बल्कि भीतर से शुरू होता है और पौराणिक कथाएं इस आत्म-यात्रा की दिशा दिखाती हैं।

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दर्शकों को कहानी, कविता और अध्यात्म का एक संतुलित समागम देखने को मिला, जिसने सत्र को लिट फेस्ट के सबसे यादगार अनुभवों में शामिल कर दिया। सत्र के उत्तरार्ध में शालिनी मोदी ने अपनी आगामी पुस्तक ‘द एटर्नल सन: द लेगेसी ऑफ सूर्य देव’ की झलक दी। पुस्तक में सूर्य देव के गुण, शक्ति, परिवार और मानव जीवन पर उनके गहरे प्रभाव को नए दृष्टिकोण से समझाया गया है। उन्होंने रामायण के उस प्रसंग का उल्लेख किया, जिसमें भगवान राम ने रावण-वध से पहले अगस्त्य मुनि की सलाह पर सूर्य देव का आशीर्वाद ग्रहण किया था।

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