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संस्कृतियों और व्यंजनों का संगम बना शिल्प मेला

खाने के शौकीनों ने चटपटे और स्वादिष्ट व्यंजनों का लिया स्वाद

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चंडीगढ़ के कलाग्राम में सोमवार को शिल्प मेले में करतब दिखाते बाजीगर। -रवि कुमार
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मनीमाजरा (चंडीगढ़), 2 दिसंबर (हप्र)

उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (एनजेडसीसी) और चंडीगढ़ प्रशासन के संयुक्त उपक्रम शिल्प मेले में शामिल होने के लिए सोमवार को भी हजारों की संख्या में कला प्रेमियों की भीड़ उमड़ी। डॉ. सौरभ भट्ट द्वारा आयोजित बच्चों के लिए प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में लगभग 200 प्रतिभागियों ने भाग लिया। उन्होंने भारतीय संस्कृति, सामान्य ज्ञान आदि से संबंधित कई सवालों के जवाब दिए। एसके शर्मा द्वारा जादू का शो भी दिखाया गया, जो विशेष रूप से प्रतिभागियों और आम तौर पर अन्य लोगों के लिए बोनस के रूप में सामने आया। सुबह और शाम के सत्रों में मुरली द्वारा राजस्थानी लोक गायन के साथ-साथ भपंग बदन की प्रस्तुति भी मंच पर हुई। कलाकारों ने जाबरो (लद्दाख), कालबेलिया (राजस्थान) और धामाली (जम्मू-कश्मीर) सहित विभिन्न क्षेत्रों के शानदार लोक नृत्य प्रस्तुत किए। ग्राउंड परफॉर्मर्स में ‘कच्ची घोड़ी (राजस्थान), बेहुरुपियास, नाचर और बाजीगर नगाड़ा और बीन जोगियां शामिल थीं।

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सोमवार को खाने के स्टालों पर भारी भीड़ देखी गई। शहर में हिमाचल, राजस्थान आदि के कई लोग रहते हैं। उन्हें मेले में अपना पसंदीदा भोजन मिला और उन्होंने इसका अच्छे से स्वाद लिया। यहां हमारे देश की समृद्ध विविधता की झलक देखने को मिली। इसके अलावा बिहार के शुद्ध देसी घी में बने लिट्टी चोखा, सत्तू की कचौरी, मालपुआ, खोये का अनरसा और तिल्लन खाजा की काफी मांग थी। इसी तरह, राजस्थानी स्टॉल पर बहुत सारे व्यंजन थे, जिनमें दाल बाटी चूरमा, विशेष राजस्थानी थाली, मिस्सी रोटी थाली, मूंग दाल हलवा और चूरमा लड्डू हॉट केक की तरह बिक रहे थे। फूड कोर्ट में हर किसी के लिए कुछ न कुछ है।

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मिठाई के शौकीनों ने गोहाना(हरियाणा) से आई विशेष ‘जलेबी’, केसरिया कुल्लड़ दूध, केसर बादाम दूध (गर्म और ठंडा) का लुत्फ उठाया, जबकि बच्चों ने पिज्जा, बर्गर, मोमोज और हॉट स्प्रिंग रोल का लुत्फ उठाया। देश के विभिन्न कोनों से आए 600 से अधिक कारीगरों और शिल्पकारों ने क्रॉकरी, कटलरी, कपड़े, ऊनी वस्त्र और अन्य सर्दियों के कपड़े, कालीन, डिजाइनर सूट और साडिय़ों सहित दैनिक उपयोग की अपनी हस्तनिर्मित वस्तुओं को प्रदर्शित किया है। शाम के स्टार गायक कुलविंदर बिल्ला थे, जिन्होंने अपनी शानदार गायन शैली से शाम को जीवंत कर दिया।

बच्चों के लिए मंडे रहा फनडे

14वें राष्ट्रीय शिल्प मेले मे मंडे (सोमवार) का दिन बच्चों के लिए फन डे की तरह रहा। उन्होंने खिली दूप में खिले चेहरों के साथ कला का आनंद लिया और देश की संस्कृति की झलक भी देखी। क्लासरूम से निकलकर दोस्तों के साथ कला की गोद में पहुंचा हर बच्चा खुश दिखाई दिया।शहर के कई सरकारी स्कूलों ने अपने बच्चों को कलाग्राम स्थित राष्ट्रीय शिल्प मेले में भेजा। स्कूल ग्रुप के साथ आए बच्चों के लिए एंट्री फ्री है। उन्हें लंबी कतार में खड़े होने के बाद स्कूल स्टाफ के साथ मेले का हिस्सा बनने का मौका मिला।

आज का कार्यक्रम

मंगलवार को सुप्रसिद्ध गायिका और पहाड़ी लोक गायन की रानी गीता भारद्वाज पहाड़ों से लोक संगीत का स्वाद लेकर आएंगी। उन्हें काफी पसंद किया जाता है और लोग काफी समय से उनके गीत सुनने का इंतजार कर रहे हैं। इसके अलावा मेले में बच्चों के लिए कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे और संस्कृति की झलक भी यहां बनी रहेगी। मेला 8 दिसंबर तक जारी रहेगा।

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