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आत्मनिर्भर भारत के लिए महत्वपूर्ण हैं क्राफ्ट मेले : कटारिया

पंजाब के राज्यपाल एवं उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, पटियाला के चेयरमैन गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि क्राफ्ट मेला सांस्कृतिक महोत्सव एक भारत-श्रेष्ठ भारत का जीवंत प्रतीक है। ऐसे मेले देश की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा को आगे ले जाने में महती...
पंजाब के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया कलाकारों को लाेक कला साधक और युवा पुरस्कार प्रदान करते हुए। -हप्र
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पंजाब के राज्यपाल एवं उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, पटियाला के चेयरमैन गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि क्राफ्ट मेला सांस्कृतिक महोत्सव एक भारत-श्रेष्ठ भारत का जीवंत प्रतीक है। ऐसे मेले देश की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा को आगे ले जाने में महती भूमिका निभाते हैं। मेले के इस स्वरूप में सभी आयु वर्ग वालों को कुछ न कुछ अवश्य मिलता है।वे शुक्रवार शाम यहां कलाग्राम में चल रहे उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र पटियाला और चंडीगढ़ सांस्कृतिक कार्य विभाग के तत्वावधान में चल रहे चंडीगढ़ राष्ट्रीय क्राफ्ट मेले में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने मेले में जुटे करीब 500 लोक कलाकारों का स्वागत करते हुए कहा कि इनकी लोक कला को देख संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन दायित्व बोध होता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के स्वप्न को पूर्ण करने का काम स्वदेशी यानी लोकल फॉर वोकल के जरिए ही होगा। इसमें देश के सातों सांस्कृतिक केंद्र महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। गवर्नर ने मेले के सफल आयोजन के लिए की उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक फुरकान खान और उनकी टीम व चंडीगढ़ के सांस्कृतिक विभाग की सराहना की। उन्होंने कहा कि क्राफ्ट मेले आत्मनिर्भर भारत के लिए महत्वपूर्ण हैं।

इससे पूर्व, उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र पटियाला के निदेशक फुरकान खान ने राज्यपाल कटारिया, प्रमुख सचिव विवेक प्रताप सिंह, चंडीगढ़ प्रशासन के गृह एवं सांस्कृतिक सचिव मनदीप बरार और चंडीगढ़ सांस्कृतिक कार्य विभाग के निदेशक सौरभ अरोड़ा का पौधा भेंट कर स्वागत किया। उन्होंने स्वागत संबोधन में सभी अतिथियों और सहयोगियों सहित आर्टिजन व कलाकारों का भी स्वागत किया। अंत में सौरभ अरोड़ा ने सभी अतिथियों का आभार जताया।

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इस अवसर पर राज्यपाल कटारिया ने डॉ. राजेश कुमार व्यास की पुस्तक 'नाट्य शास्त्र- पंचम वेद पर एकाग्र' का विमोचन किया।

इस अवसर पर राज्यपाल कटारिया ने छह कलाकारों को लाेक कला साधक और युवा पुरस्कार प्रदान किए।

उन्होंने पंजाब के लोक गायक एवं संगीतकार मेजर सिंह, हिमाचल प्रदेश के सिरमौरी लोक गायक प्रेमचंद बाउनली, कश्मीरी लोक नृत्य धमाली को देश में प्रसिद्धि दिलाने वाले बशीर अहमद शाह और उत्तराखंड के लोक नृत्यों व लोक गायन के प्रचार-प्रसार में प्रस्तुतियों के माध्यम से योगदान देने वाले अल्मोड़ा (उत्तराखंड) के फोक आर्टिस्ट प्रकाश सिंह विष्ट को लोक कला साधक पुरस्कार-2025 पुरस्कार प्रदान किया। पुरस्कार स्वरूप प्रत्येक कलाकार को 2.5 लाख रुपए और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया।

राज्यपाल कटारिया ने राजस्थानी लोक नृत्य चरी को अपनी प्रस्तुतियों के माध्यम से देश भर में लोकप्रिय बनाने व युवाओं को लोक नृत्यों का प्रशिक्षण देने वाली किशनगढ़ (राजस्थान) की अंजना कुमावत और रोहतक (हरियाणा) के फोक डांसर नरेश कुमार को युवा पुरस्कार-2025 से नवाजा। इस पुरस्कार के रूप में दोनों कलाकारों को 1-1 लाख रुपए और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया।

 

 

 

 

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