सीपीडीएल ने बढ़ाई उपभोक्ताओं के लिए लोड की स्व-घोषणा की अवधि
चंडीगढ़ पावर डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड (सीपीडीएल) ने चंडीगढ़ के उपभोक्ताओं के लिए लोड की स्व-घोषणा की अवधि दूसरी बार बढ़ा दी है, लेकिन यह प्रारूप संयुक्त विद्युत नियामक आयोग (जेईआरसी) की आपूर्ति संहिता, 2018 के अनुसार नहीं है, बल्कि अस्वीकृत और संशोधित है, जिसमें कूलिंग-लोड की गणना के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश भी नहीं दिए गए हैं, जिसमें जनता को सीपीडीएल प्रारूप के अनुसार अपना लोड घोषित करने के लिए बाध्य किया जा रहा है। इंडियन सिटीजंस फ़ोरम के अध्यक्ष एसके नैयर ने बताया कि इससे पहले 2012 में, चंडीगढ़ विद्युत विभाग ने जेईआरसी द्वारा अनुमोदित अपने प्रारूप में संशोधन किया था, जिस पर जेईआरसी ने याचिका संख्या 84/2012 के आदेश के अनुसार आपत्ति जताई थी और कहा था कि यह अस्वीकार्य है। क्योंकि यह नियमन से जुड़े प्रारूप को हटाने और इस प्रकार नियमन के साथ छेड़छाड़ करने के समान है। उन्होंने कहा कि आपूर्ति संहिता, 2018 के विनियमन 6.7 के अनुसार, मीटरों के प्रतिस्थापन सहित सभी मीटर स्थापित किए जाने हैं, एमडीआई सुविधा वाले मीटर होंगे, चंडीगढ़ में आपूर्ति के वितरण के लिए अधिमानत: प्रीपेड-मीटर हों। हालांकि यूटी-इंजीनियरिंग-विभाग उपभोक्ता के सहयोग से इस तरह के एमडीआई प्रकार के मीटर लगा रहा था, लेकिन आपूर्ति संहिता, 2018 के 6.23 के अनुसार लोड को नियमित करने के लिए एमडीआई की कोई रीडिंग कभी नहीं ली।
इसी तरह, सीपीडीएल ने भी उपभोक्ताओं की एमडीआई रीडिंग नहीं ली, सिवा जहां स्मार्ट मीटर केवल बिजली सब डिवीजन नंबर 5, औद्योगिक क्षेत्र में प्रदान किए गए हैं। अब सीपीडीएल ने अपनी कमियों के कारण केवल एमडीआई रीडिंग के आधार पर लोड बढ़ाने की कार्रवाई शुरू कर दी है। एस.के. नैय्यर, सचिव नरिंदर शर्मा और अन्य सदस्यों ने संयुक्त विद्युत नियामक आयोग को पत्र लिखकर अंदेशा जताया है कि उपभोक्ता द्वारा अतिरिक्त-भार-घोषित करने पर, सीपीडीएल/ लाइसेंसधारी अतिरिक्त-भार के लिए अतिरिक्त आग्रिम-राशि और सेवा-कनेक्शन-शुल्क वसूल करेगा।