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‘आत्मा का नृत्य है शास्त्रीय संगीत’

केवल तिवारी/ट्रिन्यू चंडीगढ़, 9 अगस्त शास्त्रीय संगीत आत्मा का नृत्य है। आत्मा का नृत्य, मतलब मन प्रफुल्लित होना। मन तभी प्रफुल्लित होता है जब आप अपने वातावरण, प्रकृति से जुड़ते हैं। यह जुड़ाव शास्त्रीय संगीत के माध्यम से ज्यादा बेहतरीन...
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वर्षा ऋतु संगीत संध्या में प्रस्तुति देते कलाकार। - ट्रिन्यू
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केवल तिवारी/ट्रिन्यू

चंडीगढ़, 9 अगस्त

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शास्त्रीय संगीत आत्मा का नृत्य है। आत्मा का नृत्य, मतलब मन प्रफुल्लित होना। मन तभी प्रफुल्लित होता है जब आप अपने वातावरण, प्रकृति से जुड़ते हैं। यह जुड़ाव शास्त्रीय संगीत के माध्यम से ज्यादा बेहतरीन तरीके से होता है। ये बातें संगीत क्षेत्र की तीन दिग्गज हस्तियों- हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की अग्रणी गायिका विदुषी मीता पंडित, जाने-माने तबला वादक पंडित राम कुमार मिश्रा एवं युवा हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायक डॉ. अविनाश कुमार ने ‘दैनिक ट्रिब्यून’ के साथ विशेष बातचीत के दौरान कहीं। तीनों कलाकार शुक्रवार को चंडीगढ़ में ‘वर्षा ऋतु संगीत संध्या’ कार्यक्रम में प्रस्तुति देने के लिए आए थे।

संगीत के विविध पहलुओं, वर्तमान पीढ़ी और घरानों के संबंध में बातचीत करते हुए तीनों कलाकारों ने चंडीगढ़ और पंजाब को संगीत का गढ़ बताया। यह पूछने पर कि आजकल रीमिक्स का जमाना है, इसने शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र पर क्या असर डाला है, विदुषी मीता पंडित ने कहा, दोनों में तुलना करना ठीक नहीं। उन्होंने कहा कि दोनों के श्रोता अलग-अलग हैं। ‘लाइव कंसर्ट’ के दौरान दर्शकों से किस तरह जुड़ाव होता है, पूछने पर पंडित राम कुमार मिश्रा ने कहा, ‘ऐसे कार्यक्रमों में हमारा हर दर्शक से सीधा जुड़ाव होता है। उनकी तन्मयता हमारी लय को और सुरीली बनाती है।’ आज की पीढ़ी संगीत को कैसे देखती है, पूछने पर डॉ. अविनाश कुमार कहते हैं, ‘मैं चूंकि संगीत का शिक्षक हूं, इसलिए जानता हूं कि युवाओं का बहुत रुझान है। यह खुशी की बात है कि क्लासिकल संगीत की तरफ बच्चे बहुत आकृष्ट हो रहे हैं।’

‘वर्षा ऋतु संगीत संध्या’ ने बांधा समां

तीनों कलाकारों एवं साथ में अन्य हस्तियों ने इंडियन नेशनल थियेटर द्वारा दुर्गादास फाउंडेशन के सहयोग से शास्त्रीय संगीत कार्यक्रम ‘वर्षा ऋतु संगीत संध्या’ में समां बांध दिया। सेक्टर 26 स्थित स्ट्रॉबेरी फील्ड्स हाई स्कूल के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में डॉ. अविनाश कुमार ने ‘गरजे घटा घन कारे कारे’ से की प्रस्तुति दी। उन्होंने द्रुत एकताल में ‘बीती जात बरखा ऋतु’ में अति द्रुत तानों से श्रोताओं का मन मोह लिया। विदुषी मीता पंडित ने गायन की शुरुआत राग सूरदासी मल्हार से की जिसमें उन्होंने पारपरिक बंदिश ‘गरजत आये री बदरवा’ गायन प्रस्तुत किया। इन गायकों के साथ हारमोनियम पर तरुण जोशी तथा तबले पर सुप्रसिद्ध तबला नवाज पंडित राम कुमार मिश्रा ने बखूबी संगत की। संचालन डीपीएस स्कूल की छात्रा उस्तत बल ने किया। यह कार्यक्रम इंडियन नेशनल थिएटर के संरक्षक रहे स्व. नवजीवन खोसला को श्रद्धांजलि थी।

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