समाज का मार्गदर्शक होता है कालजयी साहित्य : डॉ. चंद्र त्रिखा
हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, पंचकूला के उर्दू प्रकोष्ठ के निदेशक डॉ. चंद्र त्रिखा और हिंदी व हरियाणवी प्रकोष्ठ के निदेशक डॉ. धर्मदेव विद्यार्थी ने बुधवार को पंचकूला के अकादमी भवन में जाने -माने साहित्यकार एवं यायावर छायाकार डॉ. ओमप्रकाश कादयान द्वारा लिखित पुस्तक ‘पुस्तक विमर्श’, वरिष्ठ साहित्यकार जयभगवान सैनी की पुस्तक ‘सैनिक जीवन : एक संघर्ष गाथा’ डॉ. ओमप्रकाश कादयान द्वारा लिखित और जयभगवान सैनी द्वारा हरियाणवी में अनुवाद किया गया कहानी संग्रह ‘बसंत आण की उम्मीद’ का विमोचन किया।
विमोचन के बाद उर्दू अकादमी के निदेशक डॉ. चंद्र त्रिखा ने दोनों लेखकों को बधाई दी और कहा कि एक अच्छा साहित्यकार समाज का दुख-दर्द अपना दुख-दर्द समझ कर कागज पर उतारता है। कालजयी साहित्य समाज का मार्गदर्शक होता है। हर्ष-उल्लास, समाज के यथार्थ को कालजयी रचनाओं का रूप देकर समाज का मार्ग प्रशस्त करता है। उन्होंने कहा कि आजकल साहित्य की करीब हर विधा में खूब लिखा जा रहा है, लेकिन प्रभावशाली व असरदार साहित्य कम लिखा जा रहा है। साहित्यकारों का दायित्व बनता है कि वे जो लिखें असरदार लिखें ताकि समाज में बेहतरीन बदलाव आ सके।
निदेशक डॉ. धर्मदेव विद्यार्थी ने कहा कि अच्छा साहित्य बेहतरीन समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस अवसर पर साहित्यकार ओमप्रकाश कादयान व जयभगवान सैनी ने अपनी साहित्यिक यात्रा के बारे में बताया।
जिन पुस्तकों का विमोचन हुआ है उनमें पुस्तक ‘पुस्तक विमर्श’ समीक्षा पर केन्द्रित है जबकि ‘सैनिक जीवन: एक संघर्ष गाथा’ वीर सैनिकों के जीवन पर आधारित है तथा ‘बसंत आण की उम्मीद’ में लोक जीवन की यथार्थ कहानियां हैं। इस अवसर पर अकादमी कॉर्डिनेटर डॉ. विजेंद्र कुमार व अन्य जन भी मौजूद थे।