मनीमाजरा (चंडीगढ़), 5 अप्रैल (हप्र)
सेक्टर 34 के ग्राउंड में चल रही एशियाड सर्कस के प्रबंधन और कलाकारों सहित इससे जुड़े स्टाफ ने एक अभियान सेव सर्कस-सेव सर्कस आर्टिस्ट की शुरूआत की है। इनका कहना है कि किसी समय देश भर में लगभग 100 सर्कस चला करती थीं। लेकिन वर्ष 1996 से सर्कस में जानवरों पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद से यह सिमटती रही।
अब मात्र 5 सर्कस ही रह गई हैं। लोगों का रुझान अगर सर्कस के प्रति ऐसा ही रहा तो वह दिन दूर नहीं, जब सर्कस का वजूद देश भर में समाप्त हो जाएगा। सर्कस से जुड़े लगभग 750 लोगों और उनके परिवार के भरण पोषण की समस्या उत्पन्न हो जाएगी। सरकार को चाहिए कि खत्म होती जा रही इस विरासत को सहेजे। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ प्रशासन को चाहिए कि निगम द्वारा मनीमाजरा ग्राउंड की तर्ज पर ही सेक्टर 34 में सर्कस लगाए जाने पर ग्राउंड रेंट में छूट दी जाए। प्रबन्धक अजय गोयल और अलंकेश्वर भास्कर ने कहा कि जानवर सर्कस की जान कहे जाते थे। लोग जानवर देखने ही सर्कस की ओर रुख करते थे। सर्कस प्रबंधन जानवरों को बच्चों की तरह पालता -पोसता है। लेकिन सरकार ने जानवरों पर अत्याचार की आड़ लेते हुए सर्कस में इन पर प्रतिबंध लगा दिया। कहा कि जानवरों पर लगा प्रतिबंध तुरंत हटाया जाए।