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Cine Maestro 2025 युवा कल्पनाशक्ति की परवाज़: चितकारा इंटरनेशनल स्कूल में ‘सिने-मैस्ट्रो – टेक 7’ का रचनात्मक जलवा

Cine Maestro 2025 सिनेमा के परदे पर जब कल्पना, संवेदना और कला एक साथ उतरती हैं, तो वह दृश्य केवल मनोरंजन नहीं, प्रेरणा बन जाता है। इसी प्रेरणा का जीवंत उदाहरण रहा चितकारा इंटरनेशनल स्कूल, चंडीगढ़ में आयोजित ‘सिने-मैस्ट्रो  शेपिंग...

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Cine Maestro 2025 सिनेमा के परदे पर जब कल्पना, संवेदना और कला एक साथ उतरती हैं, तो वह दृश्य केवल मनोरंजन नहीं, प्रेरणा बन जाता है। इसी प्रेरणा का जीवंत उदाहरण रहा चितकारा इंटरनेशनल स्कूल, चंडीगढ़ में आयोजित ‘सिने-मैस्ट्रो  शेपिंग फ्यूचर फिल्ममेकर्स: फिल्म फेस्टिवल एंड अवॉर्ड्स’ का सातवां संस्करण, जिसने युवा फिल्मकारों की प्रतिभा को नए आयाम दिए।

इस भव्य आयोजन में अभिनेत्री शेफाली शाह और प्रसिद्ध सिनेमैटोग्राफर अमिताभा सिंह ने भाग लेकर छात्रों को सिनेमा की शक्ति, कहानी कहने की कला और रचनात्मक अभिव्यक्ति के महत्व पर प्रेरित किया।

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रेड कार्पेट की चमक में रचनात्मकता का संगम

चितकारा यूनिवर्सिटी द्वारा संचालित और सिनेविद्या के सहयोग से आयोजित इस वार्षिक फेस्टिवल ने स्कूल परिसर को एक फिल्म प्रीमियर जैसा रूप दे दिया। ‘रेड कार्पेट’, कैमरों की फ्लैश लाइट्स और उत्साहित छात्रों के बीच सिनेमा का उत्सव अपने पूरे रंग में नजर आया।

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इस दौरान छात्रों और शिक्षकों ने मिलकर 20 उत्कृष्ट लघु फिल्मों का प्रदर्शन देखा, जिनमें मानसिक स्वास्थ्य, आत्म-अभिव्यक्ति, साहस, मित्रता और सामाजिक न्याय जैसे विषयों को बेहद संवेदनशीलता से पेश किया गया।

कल्पना और ईमानदारी से कहानियां कहें : शेफाली शाह

छात्रों को संबोधित करते हुए शेफाली शाह ने कहा, ‘फिल्ममेकिंग सिर्फ़ तकनीक नहीं, यह कल्पनाशक्ति, धैर्य और ईमानदारी की साधना है। सिनेमा समाज को दिशा देने और दिलों को जोड़ने की ताकत रखता है।’

वहीं, सिनेविद्या के संस्थापक और सिनेमैटोग्राफर अमिताभा सिंह ने कहा, ‘सिनेमा युवाओं को निडर होकर सोचने, सृजन करने और अपनी बात प्रभावशाली ढंग से कहने का अवसर देता है।’

फिल्मों में झलका जीवन का हर रंग

इस वर्ष के ‘सिने-मैस्ट्रो’ में प्रदर्शित फिल्मों ने मानवीय अनुभवों के गहरे पहलुओं को छुआ —

वन होप, साइलेंट स्टॉर्म्स, द डिटेंशन फाइल्स और मिसफिट ने मानसिक स्वास्थ्य और आत्म-संघर्ष पर विचारोत्तेजक दृष्टि डाली।

परवाज़: राइजिंग फ्रॉम स्ट्रेंजर टू स्टार, जस्ट ए हैंड अवे और अनकहे धागे ने आत्म-अभिव्यक्ति और करुणा के भावों को खूबसूरती से चित्रित किया।

वहीं आज की ताज़ा खबर, रैंक वर्सेस ज़िंदगी और 23-12 जैसी फिल्मों ने समाजिक दबाव और संवेदनशीलता की कमी पर तीखा प्रश्न उठाया।

सहयोग, सृजन और सीख का मंच बना फेस्टिवल

इस आयोजन की सफलता में चितकारा यूनिवर्सिटी के मास कम्युनिकेशन और एजुकेशन विभाग के छात्रों का अहम योगदान रहा। उन्होंने फिल्म प्रबंधन, एडिटिंग, साउंड और मीडिया कोऑर्डिनेशन जैसे क्षेत्रों में व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया।

कार्यक्रम के समापन पर वाइस प्रेसिडेंट डॉ. नियति चितकारा ने कहा, ‘सिने-मैस्ट्रो हमारे छात्रों की कल्पनाशक्ति, नवाचार और संवेदनशीलता का उत्सव है। शेफाली शाह और अमिताभा सिंह जैसे दिग्गजों से सीखना उनके लिए एक प्रेरणादायक अवसर है।’


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