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छठ महापर्व का आगाज : नहाए-खाए से शुरू हुई सूर्य उपासना की परंपरा

लोक आस्था और सूर्य उपासना का चार दिवसीय महापर्व छठ पूजा आज ‘नहाए-खाए’ के साथ आरंभ हुआ। व्रतियों ने स्नान-ध्यान के बाद घरों में पवित्रता और शुद्धता के साथ चावल, चना दाल और लौकी की सब्जी का प्रसाद ग्रहण किया।...
महिलाएं शनिवार को चंडीगढ़ के सेक्टर 26 मंडी में छठ पूजा के लिए सामग्री खरीदती हुईं। -रवि कुमार
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लोक आस्था और सूर्य उपासना का चार दिवसीय महापर्व छठ पूजा आज ‘नहाए-खाए’ के साथ आरंभ हुआ। व्रतियों ने स्नान-ध्यान के बाद घरों में पवित्रता और शुद्धता के साथ चावल, चना दाल और लौकी की सब्जी का प्रसाद ग्रहण किया। इसी के साथ सूर्य देव और छठ मैया की आराधना के इस महान व्रत की शुरुआत हुई। यह पर्व श्रद्धा, अनुशासन और पर्यावरणीय संतुलन का प्रतीक माना जाता है।

जय मधुसूदन जय श्रीकृष्ण फाउंडेशन के संस्थापक और पर्यावरण सेवक प्रभुनाथ शाही ने बताया कि चंडीगढ़, मोहाली और पंचकूला के पूर्वांचल परिवारों में आज से यह व्रत आरंभ हो गया है, जो मंगलवार प्रातः उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ पूर्ण होगा। रविवार को खरना के अवसर पर श्रद्धालु देशी घी लगी गेहूं की रोटी और गुड़-दूध की खीर का प्रसाद ग्रहण करेंगे। सोमवार को डूबते सूर्य और मंगलवार को उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर व्रत पारण किया जाएगा।

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शाही ने बताया कि छठ व्रत सुख, समृद्धि और आरोग्यता की कामना के लिए किया जाता है। यह पर्व ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की भावना को जीवंत करता है और प्रकृति व पर्यावरण संरक्षण का अद्भुत संदेश देता है। दीपावली के बाद पूर्वांचल परिवारों में सात्विकता, स्वच्छता और छठ मैया के गीतों की गूंज इस पर्व की विशेष पहचान बन जाती है।

 

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