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सीएचबी सभी विकास कार्यों को शीघ्र करे पूरा

हाउसिंग बोर्ड की कार्यप्रणाली पर उठाए सवाल, प्रशासक को लिखा पत्र, कहा
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चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड (सीएचबी) की कार्यप्रणाली और वित्तीय स्थिति पर गंभीर सवाल उठाते हुए सेकंड इनिंग्स एसोसिएशन के सदस्यों ने यूटी प्रशासक को एक पत्र भेजा है। एसोसिएशन ने बोर्ड की बैलेंस शीट का हवाला देते हुए दावा किया कि सीएचबी के पास विभिन्न विकास कार्यों के लिए प्राप्त अग्रिम जमा राशियां वर्षों से अनुपयोगी पड़ी हुई हैं, जिससे बोर्ड की कार्यक्षमता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। एसोसिएशन ने मांग की है कि बोर्ड को निर्देश दिए जाएं कि वह सभी विकास कार्यों को शीघ्र निष्पादित करे, अपनी किताबें साफ करे और भारत सरकार से पूर्णकालिक अध्यक्ष की नियुक्ति का अनुरोध करे।

एसोसिएशन के सदस्यों ने पत्र में लिखा है कि सीएचबी का मुख्य उद्देश्य आवास और इससे जुड़े प्रोजेक्ट्स को निष्पादित करना है, लेकिन हाल के वर्षों में बोर्ड की स्थिति चिंताजनक हो गई है। उन्होंने वित्तीय वर्ष 2023-24 की बैलेंस शीट का जिक्र करते हुए कहा कि बोर्ड के पास कोई कार्यकारी अध्यक्ष पिछले 8 वर्षों से नहीं है, जिसके कारण कार्यों में ठहराव आ गया है। वर्तमान में सभी वरिष्ठ अधिकारी अतिरिक्त चार्ज पर काम कर रहे हैं, जो बोर्ड की दक्षता को प्रभावित कर रहा है। एसोसिएशन ने जोर दिया कि वित्तीय आंकड़े किसी संस्था की सही स्थिति का आईना होते हैं, और सीएचबी की बैलेंस शीट से साफ जाहिर होता है कि बोर्ड विकास कार्यों के लिए प्राप्त अग्रिम जमा राशियों का उपयोग नहीं कर पा रहा है। पत्र में एसोसिएशन ने उन अग्रिम जमा राशियों की एक विस्तृत सूची दी है, जो 31 मार्च 2023 और 31 मार्च 2024 तक अपरिवर्तित रही हैं और जिनका कोई उपयोग नहीं हुआ है। ये राशियां देयता पक्ष में दिखाई जा रही हैं, लेकिन वर्षों से लंबित पड़ी हुई हैं।

एसोसिएशन ने आगे खुलासा किया कि सीएचबी पर विभिन्न कर्ज भी बकाया हैं। बोर्ड चंडीगढ़ प्रशासन को ब्याज के रूप में लगभग 30 करोड़ रुपये, एचबी कोऑपरेटिव सोसाइटियों को 89 करोड़ रुपये और एस्टेट ऑफिस को 2,46,56,030 रुपये का भुगतान करने में विफल रहा है। इसके अलावा, बोर्ड के पास 26 लाख रुपये की परफॉर्मेंस गारंटी है और आरजीसीटीपी (राजीव गांधी चंडीगढ़ टेक्नोलॉजी पार्क) प्रोजेक्ट फंड के रूप में चंडीगढ़ प्रशासन को 28.85 करोड़ रुपये देय हैं। एसोसिएशन ने कहा कि ये वित्तीय अनियमितताएं बोर्ड की विश्वसनीयता को कमजोर कर रही हैं और विकास कार्यों को रोक रही हैं।

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