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प्रतिबंधों के बावजूद विदेशों में बिकी चंडीगढ़ की धरोहर

फ्रांस में 16 वस्तुएं नीलाम, 3.93 करोड़ रुपये में बिकीं । बुककेस पर सबसे अधिक 40.70 लाख रुपये की बोली लगी
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प्रतिबंधों के बावजूद चंडीगढ़ की ऐतिहासिक धरोहर एक बार फिर विदेशों की नीलामी मंडियों तक पहुंच गई। 18 सितंबर को फ्रांस में आयोजित नीलामी में शहर की 16 दुर्लभ वस्तुएं करीब 3.93 करोड़ रुपये में बिकीं।

नीलामी में आसान कुर्सियों की एक जोड़ी, बुककेस, डिमाउंटेबल डेस्क, लेखन डेस्क की दो कुर्सियां, डिमाउंटेबल डे-बेड, बेंच, डाइनिंग टेबल, स्टोरेज यूनिट, तीन स्टूल का सेट, फायरसाइड सोफा, फायरसाइड आर्मचेयर की जोड़ी, सिलाई स्टूल, फाइल रैक स्टोरेज यूनिट, कॉफी टेबल, एडवोकेट आर्मचेयर की जोड़ी और कमेटी चेयर शामिल थीं। इनमें बुककेस ने सबसे अधिक 40.70 लाख रुपये की बोली पाई, जबकि तीन स्टूल का सेट 23.08 लाख और सिलाई स्टूल 8.13 लाख रुपये में नीलाम हुआ।

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चंडीगढ़ प्रशासन की विरासत वस्तु संरक्षण समिति के सदस्य अजय जग्गा ने बताया कि ये सभी धरोहरें स्विस आर्किटेक्ट पियरे जेनेरे द्वारा डिजाइन की गई थीं। जेनेरे, मशहूर आर्किटेक्ट ली कॉर्बुजिए के चचेरे भाई थे, जिन्होंने आधुनिक चंडीगढ़ की योजना बनाई थी।

जग्गा ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर और पेरिस की न्यायिक पुलिस अधिकारी नथाली चनवलॉन को लिखे पत्र में इस नीलामी को गंभीर चिंता का विषय बताया। उन्होंने कहा कि संस्कृति मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की पिछली कोशिशों के बावजूद विदेश मंत्रालय ने पर्याप्त कदम नहीं उठाए।

उन्होंने चेतावनी दी कि प्रधानमंत्री के ‘विकसित भी, विरासत भी’ विजन के विपरीत, चंडीगढ़ की धरोहर लगातार विदेशों में बिना किसी सुरक्षा उपाय के बिक रही है। उन्होंने मांग की कि भारतीय दूतावासों और मिशनों को स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए जाएं, ताकि ऐसे मामलों में आपत्ति दर्ज हो सके और कूटनीतिक स्तर पर अवैध बिक्री रोकी जा सके।

मामले की जांच हो : जग्गा

जग्गा ने यह भी सवाल उठाया कि गृह मंत्रालय के प्रतिबंधात्मक आदेशों के बावजूद ये वस्तुएं लक्ज़मबर्ग तक कैसे पहुंचीं। उन्होंने मांग की कि इसकी तत्काल जांच हो और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही जहां संभव हो, अवैध रूप से बाहर ले जाई गई धरोहरों को वापस लाया जाए।

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