Chandigarh News : अमेरिका में PGI के प्रो. बलजिंदर सिंह को 'डायनामिक मॉलीक्यूल अवॉर्ड', निदेशक बोले - गर्व का पल
विवेक शर्मा/चंडीगढ़, 26 जून
Chandigarh News : पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़ के न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर बलजिंदर सिंह ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का परचम लहराया है। उन्हें अमेरिका के न्यू ऑरलियन्स में आयोजित सोसाइटी ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड मॉलिक्यूलर इमेजिंग (SNMMI) की वार्षिक बैठक में डायनामिक मॉलीक्यूल अवॉर्ड 2025 से सम्मानित किया गया। यह प्रतिष्ठित सम्मान इंडो-अमेरिकन सोसाइटी ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन (IASNM) द्वारा उनकी नवीनतम शोध प्रस्तुति पर प्रदान किया गया।
उनकी शोध का शीर्षक था —
"68Ga-Pentixafor PET/CT का उपयोग कर मल्टीपल मायलोमा रोगियों में मिनिमल रेजिडुअल डिजीज (MRD) के मूल्यांकन की क्षमता – प्रारंभिक निष्कर्ष।" यह अवॉर्ड उनके अभिनव और रोगी-केन्द्रित अनुसंधान के लिए दिया गया है, जिसमें न्यूनतम शेष बीमारी की पहचान में नई तकनीक के प्रभाव को दर्शाया गया है।
दोहरे सम्मान से नवाजे गए प्रो. बलजिंदर
प्रो. बलजिंदर को IASNM की ओर से स्पेशल ऑनर अवॉर्ड भी दिया गया, जो न्यूक्लियर मेडिसिन के क्षेत्र में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय योगदान को मान्यता देने के लिए दिया जाता है।
निदेशक बोले - "उच्च गुणवत्ता शोध का प्रतीक है यह सम्मान"
पीजीआईएमईआर के निदेशक प्रो. विवेक लाल ने इस उपलब्धि पर खुशी जताते हुए कहा,
"यह सम्मान न केवल प्रो. बलजिंदर सिंह की प्रतिभा का प्रमाण है, बल्कि PGI में हो रहे उच्चस्तरीय शोध और नवाचार का परिचायक भी है। इस तरह का शोध सीधे तौर पर रोगियों की देखभाल और निदान की गुणवत्ता को बेहतर बनाता है, विशेष रूप से जटिल बीमारियों जैसे मल्टीपल मायलोमा के क्षेत्र में।"
साझा प्रयास से तैयार हुआ यह शोध
यह शोध न्यूक्लियर मेडिसिन, हेमेटोलॉजी, और क्लीनिकल ऑन्कोलॉजी व हेमेटोलॉजी विभागों के समन्वय से तैयार हुआ है। यह PGI की पीएचडी छात्रा हरनीत कौर के शोधकार्य का भी महत्वपूर्ण हिस्सा है। अध्ययन में पाया गया कि 68Ga-Pentixafor PET/CT, पारंपरिक 18F-FDG PET/CT की तुलना में बेहतर है, क्योंकि इसमें:
घावों की अधिक स्पष्टता से पहचान होती है,
ट्रेसर का अधिक अपटेक होता है,
इमेज की गुणवत्ता बेहतर होती है,
उपचार की प्रतिक्रिया का सटीक मूल्यांकन किया जा सकता है,
और मिनिमल रेजिडुअल डिजीज (MRD) की सटीक जानकारी मिलती है।
भविष्य की दिशा भी तय कर रहा है यह शोध
शोध के ये प्रारंभिक परिणाम भविष्य की दिशा तय कर सकते हैं। प्रो. पंकज मल्होत्रा ने IMWG (International Myeloma Working Group) की मौजूदा गाइडलाइंस में इस तकनीक और इसके रिस्पॉन्स क्राइटेरिया को शामिल करने का सुझाव दिया है।
हरनीत को भी मिल चुके हैं अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार
इस शोध से जुड़ी पीएचडी स्कॉलर हरनीत कौर को इससे पहले सोसाइटी ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन-इंडिया की बैठक में अलावी-तकालकर-कुमार अवॉर्ड, और ब्राजील में इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ मल्टीपल मायलोमा की बैठक में यंग इन्वेस्टिगेटर ट्रैवल अवॉर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है।