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Chandigarh News : चंडीगढ़ में मानसिक स्वास्थ्य पर राष्ट्रीय विमर्श: सामाजिक कारकों को केंद्र में रखकर एनसीआईएएसपी सम्मेलन का आगाज

Chandigarh News : मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों को सामाजिक परिप्रेक्ष्य में समझने और समाधान खोजने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए आज चंडीगढ़ के पीजीआईएमईआर में भारतीय सोशल साइकियाट्री एसोसिएशन (NCIASP) का 32वां राष्ट्रीय सम्मेलन शुरू हो...
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Chandigarh News : मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों को सामाजिक परिप्रेक्ष्य में समझने और समाधान खोजने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए आज चंडीगढ़ के पीजीआईएमईआर में भारतीय सोशल साइकियाट्री एसोसिएशन (NCIASP) का 32वां राष्ट्रीय सम्मेलन शुरू हो गया। तीन दिनों तक चलने वाले इस सम्मेलन का मुख्य विषय है – “मानसिक स्वास्थ्य के सामाजिक निर्धारक”, जो मानसिक स्वास्थ्य को समाज, संस्कृति, अर्थव्यवस्था और पर्यावरण से जोड़ने की आवश्यकता को रेखांकित करता है।

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पीजीआईएमईआर, जो देश के प्रमुख चिकित्सा शिक्षण और अनुसंधान संस्थानों में शामिल है, इस सम्मेलन के आयोजन से मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में वैज्ञानिक शोध, सामाजिक समझ और नीति निर्माण के बीच पुल बनाने की कोशिश कर रहा है। संस्थान का मनोरोग विभाग दशकों से मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं, शोध और प्रशिक्षण में अग्रणी रहा है। विभाग ने अपने प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए इस सम्मेलन के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य को सामाजिक असमानताओं, कलंक, प्रवास, शहरीकरण, डिजिटल जीवनशैली और कार्यस्थल की संस्कृति से जोड़कर चर्चा का नया मंच प्रदान किया है।

उद्घाटन में प्रमुख हस्तियों की उपस्थिति

सम्मेलन का शुभारंभ एडवांस्ड पीडियाट्रिक सेंटर ऑडिटोरियम में हुआ। समारोह में भारतीय मनोरोग सोसायटी की अध्यक्ष प्रो. सविता मल्होत्रा ने मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया, जबकि पीजीआईएमईआर के डीन (रिसर्च) प्रो. संजय जैन ने विशिष्ट अतिथि की भूमिका निभाई। इनके साथ पीजीआईएमईआर के मनोरोग विभाग के अध्यक्ष प्रो. डी. बसु ने सम्मेलन की अहमियत पर प्रकाश डाला। उद्घाटन में देश-विदेश से आए मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं और नीति निर्माताओं की उपस्थिति ने सम्मेलन को व्यापक और वैश्विक दृष्टिकोण प्रदान किया।

विचार-विमर्श के मुख्य बिंदु

सम्मेलन में भाग ले रहे 250 से अधिक प्रतिनिधि विभिन्न सत्रों में मानसिक स्वास्थ्य के अनेक आयामों पर चर्चा कर रहे हैं। इनमें प्रमुख विषय हैं:

आर्थिक असमानताओं, सामाजिक कलंक और परिवार की भूमिका से मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव

प्रवास, विस्थापन, शहरी तनाव और पर्यावरणीय बदलाव से जुड़ी मानसिक चुनौतियाँ

डिजिटल तकनीक, शिक्षा प्रणाली और कार्यस्थल संस्कृति का मानसिक स्वास्थ्य पर असर

सामुदायिक स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को नीति में शामिल कर अधिक समावेशी और प्रभावी उपचार मॉडल विकसित करना

युवाओं और शोधकर्ताओं के लिए मंच

सम्मेलन का एक विशेष उद्देश्य युवा शोधकर्ताओं, छात्रों और शुरुआती करियर वाले चिकित्सकों को वैज्ञानिक शोध प्रस्तुत करने का अवसर देना है। प्रो. डी. बसु ने कहा कि यह सम्मेलन मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में शोध और सामाजिक जिम्मेदारी के बीच संतुलन बनाने का प्रयास है। उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को समाज की वास्तविक समस्याओं के साथ जोड़ना आवश्यक है ताकि उपचार और देखभाल व्यापक स्तर पर प्रभावी हो सके।

नीति निर्माण में योगदान की उम्मीद

सम्मेलन से निकले निष्कर्ष और सुझाव देश में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार, नीति निर्माण और जन जागरूकता में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। पीजीआईएमईआर का प्रयास है कि यह मंच केवल शैक्षणिक विमर्श तक सीमित न रहे, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को समाज की मुख्यधारा में लाने का अभियान बने। इस सम्मेलन से प्राप्त विचार और शोध परिणाम मानसिक स्वास्थ्य क्षेत्र में व्यावहारिक समाधान, प्रशिक्षण कार्यक्रम और नीति सुधार की दिशा में ठोस योगदान देंगे।

वैश्विक सोच, स्थानीय जरूरतें

सम्मेलन का उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य को वैश्विक परिप्रेक्ष्य में समझते हुए भारत की सामाजिक परिस्थितियों के अनुरूप समाधान खोजना है। शोधकर्ताओं का मानना है कि मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएँ केवल चिकित्सा की सीमाओं तक सीमित नहीं हैं, बल्कि सामाजिक संरचना, आर्थिक स्थिति, शिक्षा और पर्यावरण से गहराई से जुड़ी हैं। ऐसे में यह सम्मेलन मानसिक स्वास्थ्य की समग्र समझ विकसित करने का मंच बन गया है।

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