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Chandigarh News : पहले दिन पेश हुए जटिल थायरॉयड केस, विशेषज्ञों ने दिए समाधान के सूत्र

पीजीआई में रस्तोगी-डैश कॉन्फ्रेंस का पहला दिन रहा रोगों की गहराई और उपचार की दिशा पर केंद्रित
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चंडीगढ़, 5 अप्रैल

Chandigarh News : पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (PGIMER), चंडीगढ़ के एंडोक्राइनोलॉजी विभाग में शनिवार को शुरू हुई दूसरी रस्तोगी-डैश क्लिनिकल केस कॉन्फ्रेंस का पहला दिन थायरॉयड विकारों के उपचार के क्षेत्र में ज्ञान, अनुभव और नवीनतम विचारों की अभिव्यक्ति का मंच बन गया।

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देशभर से आए लगभग 300 विशेषज्ञों, डॉक्टरों और विद्यार्थियों ने जटिल से जटिल केसों पर चर्चा की और उनके समाधान के व्यावहारिक पहलुओं पर विचार साझा किए। कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. साक्षम पांडे की प्रस्तुति से हुई, जिन्होंने थायरॉयड-एसोसिएटेड ऑप्थैल्मोपैथी (TAO) पर आधारित एक जटिल केस साझा किया।

यह स्थिति आंखों को प्रभावित करती है और अक्सर दृष्टि संबंधी समस्याएं उत्पन्न करती है। डॉ. पांडे ने बताया कि किस प्रकार से बहु-आयामी दृष्टिकोण से मरीज को राहत दी जा सकती है। इसके बाद डॉ. विवेक झा ने यूथायरॉयड ग्रेव्स डिजीज जैसे चुनौतीपूर्ण विकार पर प्रस्तुति दी, जिसमें थायरॉयड हार्मोन का स्तर सामान्य होते हुए भी रोग के लक्षण दिखाई देते हैं।

यह केस चिकित्सकीय भ्रम पैदा करता है और इसका निदान अत्यधिक अनुभव और समझ की मांग करता है। डॉ. सौम्य रंजन ने टर्नर सिंड्रोम पर आधारित केस रिपोर्ट साझा की, जिसमें हार्मोनल असंतुलन के कारण थायरॉयड कार्यप्रणाली प्रभावित हो रही थी। उन्होंने इस स्थिति में बहु-विशेषज्ञीय सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया।

वहीं, डॉ. प्रीति नामजोशी की प्रस्तुति ने प्लाज्माफेरेसिस तकनीक को एक नवीन उपचार विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि गंभीर ऑटोइम्यून थायरॉयड विकारों में यह थैरेपी किस तरह प्रभावी हो सकती है। यह केस चिकित्सा समुदाय में खासा सराहा गया।

इन प्रस्तुतियों के बाद वरिष्ठ एंडोक्राइनोलॉजिस्ट्स ने मामलों पर गहन टिप्पणी की और युवा चिकित्सकों को चिकित्सकीय निर्णयों की बारीकियां समझाईं। थायरॉयड कैंसर, रेयर ऑटोइम्यून डिसऑर्डर, और सर्जिकल जटिलताओं पर आधारित केसों ने चर्चा को और भी समृद्ध किया।

दिन का समापन थायरॉयड पैथोलॉजी और डायग्नोस्टिक नवाचारों पर केंद्रित संवाद सत्र से हुआ, जिसमें नई तकनीकों, जांच विधियों और इलाज की रणनीतियों पर खुली बातचीत हुई। सम्मेलन का दूसरा दिन यानी 6 अप्रैल को और भी जटिल विषयों जैसे जननिक थायरॉयड विकार, TSHoma और हार्मोनल रेजिस्टेंस पर केंद्रित होगा, जिसमें देशभर के विशेषज्ञ चिकित्सक अपने अनुभव साझा करेंगे।

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