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Chandigarh News: पशुओं व कुत्ते के काटने पर मुआवजा, 81 मामलों को मिली स्वीकृति

चंडीगढ़, 12 दिसंबर (ट्रिन्यू) Chandigarh News: आवारा पशुओं और कुत्तों के काटने से हुई दुर्घटनाओं के पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए गठित उप-समिति की अहम बैठक गत दिवस चंडीगढ़ के उपायुक्त और समिति के अध्यक्ष निशांत कुमार यादव की...
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चंडीगढ़, 12 दिसंबर (ट्रिन्यू)

Chandigarh News: आवारा पशुओं और कुत्तों के काटने से हुई दुर्घटनाओं के पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए गठित उप-समिति की अहम बैठक गत दिवस चंडीगढ़ के उपायुक्त और समिति के अध्यक्ष निशांत कुमार यादव की अध्यक्षता में संपन्न हुई। बैठक में 116 मामलों की समीक्षा की गई, जिसमें से 81 मामलों को मुआवजे के लिए मंजूरी दी गई, जबकि शेष 35 मामलों को सत्यापन के लिए लंबित रखा गया।

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बैठक में  नगर निगम चंडीगढ़ के संयुक्त आयुक्त (सदस्य-संयोजक), गवर्नमेंट मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल, सेक्टर 16 के चिकित्सा अधीक्षक, सहायक पुलिस अधीक्षक, ट्रैफिक निरीक्षक व डॉग कंट्रोल सेल, नगर निगम चंडीगढ़ के नोडल अधिकारी सहित कई विभागों के अधिकारी मौजूद रहे।

बैठक के दौरान समिति ने उन मामलों की गहराई से समीक्षा की, जिनमें पीड़ितों ने मुआवजे की मांग की थी। 81 मामलों में मुआवजे की राशि 2 जुलाई 2024 की अधिसूचना के अनुसार तय की गई। 35 मामले सत्यापन के लिए लंबित हैं। इन मामलों में आवश्यक दस्तावेजों और प्रमाणों की जांच जारी है। सत्यापन पूरा होने पर इन्हें अगली बैठक में प्रस्तुत किया जाएगा।

समिति ने पंजाब सरकार की 13 जून 2023 की अधिसूचना के तहत मुआवजे की राशि निर्धारित की। इसके अनुसार मृत्यु के मामलों में पीड़ित के कानूनी उत्तराधिकारियों को 5 लाख का मुआवजा दिया जाएगा। स्थायी अपंगता पर मेडिकल प्रमाण पत्र के आधार पर 2 लाख, चोट के मामलों में 2 लाख तक मुआवजा दिया जाएगा। कुत्ते के काटने के मामले में प्रति दांत के निशान के आधार पर 10 हजार, घाव गहरा होने पर त्वचा से मांस खिंचने पर 20 हजार रुपये मुआवजे का प्रावधान है।

मृत्यु के मामलों में मृत्यु प्रमाण पत्र और एफआईआर की प्रति अनिवार्य है। स्थायी अपंगता या चोट के मामलों में मेडिकल प्रमाण पत्र, अस्पताल की रिपोर्ट और एफआईआर की प्रति आवश्यक है।

निशांत कुमार यादव ने सभी विभागों को निर्देश दिया कि मुआवजे से संबंधित किसी भी नए मामले को तुरंत उपायुक्त कार्यालय या नगर निगम के पास भेजा जाए। इससे इन मामलों को उप-समिति के समक्ष रखा जा सके और पीड़ितों को समय पर राहत प्रदान की जा सके।

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