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Chandigarh Narco Bust चंडीगढ़ में दो इंटरस्टेट ड्रग गिरोह चढ़े शिकंजे में, करोड़ों की कोकीन-हेरोइन बरामद

पुलिस ने 12 आरोपियों को गिरफ्तार किया

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चंडीगढ़ क्राइम ब्रांच ने दो बड़ी कार्रवाइयों में इंटरस्टेट स्तर पर सक्रिय ड्रग सिंडिकेट का भंडाफोड़ करते हुए बारह आरोपियों को गिरफ्तार किया है। कार्रवाई की कमान एसपी क्राइम जसबीर सिंह के नेतृत्व में थी, जबकि पूरी ऑपरेशन की निगरानी डीएसपी क्राइम धीरज कुमार ने की। टीम का नेतृत्व पुलिस स्टेशन क्राइम सेक्टर ग्यारह के एसएचओ इंस्पेक्टर सतविंदर ने किया। पहली नज़र में मामला सिर्फ ड्रग सप्लाई नेटवर्क का प्रतीत होता है, लेकिन पुलिस प्रोफाइलिंग ने एक गहरी और चिंताजनक तस्वीर सामने रखी है। पकड़े गए बारह आरोपी ऐसे सामाजिक-आर्थिक हालात से गुजर रहे थे, जिनकी वजह से वे धीरे-धीरे नशा तस्करी की अंधेरी दुनिया में उतरते चले गए।

जांच में सामने आया कि दोनों सिंडिकेट ऐसे युवाओं से बने थे जो आर्थिक तंगी, बेरोजगारी, बीमारी, पारिवारिक संकट और गलत संपर्कों के चलते नशा तस्करी की ओर धकेल दिए गए। कोई जूते पालिश करता था, कोई दरवाज़े की चटाई बेचता था, कोई मोबाइल रिपेयरिंग करता था, कोई शराब कंपनियों में सेल्स का काम कर चुका था। कई आरोपी आठवीं या दसवीं पास हैं और त्वरित कमाई के लालच में इस अवैध नेटवर्क का हिस्सा बन गए।

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कई आरोपी बेरोजगार थे, कुछ मामूली काम कर गुजारा करते थे, कुछ परिवार की बीमारी और आर्थिक संकट से जूझ रहे थे, तो कुछ गलत संपर्कों में फंसकर इस रास्ते पर आ गए। किसी ने बाजार में जूते पालिश किए, कोई दरवाज़े की चटाई बेचता था, कोई मोबाइल रिपेयरिंग में काम करता था, जबकि कुछ शराब कंपनियों में सेल्स का काम कर चुके थे। कई आरोपी आठवीं या दसवीं पास हैं, जो त्वरित कमाई की चाह में खतरनाक नेटवर्कों से जुड़ गए।

बेरोजगारी और तंगी का फायदा उठाता था नेटवर्क

पुलिस अधिकारियों के अनुसार, दोनों सिंडिकेट की संरचना लगभग एक जैसी थी। शीर्ष पर इंटरस्टेट सप्लायर, बीच में हैंडलर और नीचे जरूरतमंद या संघर्षरत युवा, जिन्हें आसान पैसे का लालच देकर पेडलिंग के काम में लगाया जाता था।

दिल्ली के उत्तम नगर और अन्य इलाकों से आने वाली कोकीन और सिंथेटिक ड्रग्स ट्राईसिटी में इन्हीं युवाओं के ज़रिए पहुंचाई जाती थीं। कई आरोपी न तो शिक्षित थे और न ही किसी स्थिर रोजगार में। ऐसे में जल्दी पैसे कमाने का रास्ता उन्हें गलत हाथों में ले गया।

दिल्ली–पंजाब से जुड़ा नेटवर्क, तकनीक का चालाक उपयोग

क्राइम ब्रांच की जांच से खुलासा हुआ कि यह नेटवर्क बेरोजगार युवाओं को इस्तेमाल करने के साथ-साथ तकनीक का भी भरपूर फायदा उठाता था। यूपीआई, तीसरे पक्ष के बैंक खाते, क्यूआर कोड स्कैनर, लोकेशन-आधारित ड्रग डिलीवरी (माइलस्टोन ड्रॉप पॉइंट) जैसे तरीके अपनाए जाते थे, ताकि कोई आमना-सामना न हो और पुलिस के लिए ट्रैकिंग मुश्किल हो जाए।

पहला सिंडिकेट : गली-स्तर के पेडलरों से इंटरस्टेट सप्लायर तक

पहले मामले में शुरुआती गिरफ्तारी सेक्टर चालीस से हुई। अश्वनी उर्फ अशु जैसे छोटे पेडलर से शुरू हुई कार्रवाई सोनू उर्फ कल्लू, सलमान, सुनील और अनूप तक पहुंची। फिर पुलिस धाकौली के रहने वाले बंटी तक पहुंची, जो दिल्ली से कोकीन मंगवाकर सप्लाई करता था। इस सिंडिकेट से एक किलो से अधिक कोकीन, बड़ी मात्रा में हेरोइन, आईस, नकद, सोना-चांदी और कारें बरामद हुईं।

दूसरा सिंडिकेट : जरूरतमंद युवाओं की चेन और ‘ड्रॉप लोकेशन’ तकनीक

दूसरे नेटवर्क में कई आरोपी बेहद साधारण पृष्ठभूमि से थे। कोई डस्टर बेचता था, कोई शादी-समारोह में अस्थायी काम करता था, तो कोई जमीन-स्तर की सेल्स जॉब में रहा था।

मुख्य हैंडलर अरुण कुमार दिल्ली से कोकीन मंगवाता था। राहुल अकेले डोरमैट बेचकर घर चलाता था और अरुण के कहने पर ड्रग डिलीवरी करने लगा। वह माइलस्टोन लोकेशन पर पैकेट रख फोटो भेजता था ताकि किसी से आमना-सामना न हो। आकाश, जिसने परिवार की बीमारी के चलते पैसों की जरूरत में साथ दिया, बैंक लेनदेन संभालता था। विशाल, जो फार्मेसी में ग्रेजुएट है, अमृतसर के पास टोल प्लाजा में काम करते हुए इस श्रृंखला से जुड़ गया। इस नेटवर्क से कोकीन, हेरोइन, नकदी, दो गाड़ियां और कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बरामद हुए।

तंगी और गलत संपर्क से शुरू होकर संगठित अपराध तक

पुलिस की प्रोफाइलिंग कहती है कि इन युवाओं की यात्रा ‘छोटे आर्थिक संघर्ष’ से शुरू होकर धीरे-धीरे संगठित अपराध का हिस्सा बनने तक पहुंच गई। उनमें कई ऐसे हैं जो रोज़मर्रा का गुजर-बसर भी मुश्किल से कर पाते थे। कुछ के परिवारों में बीमारी और इलाज का बोझ था। कई के पास कोई स्थायी नौकरी नहीं थी, और त्वरित कमाई का लालच उन्हें ड्रग तस्करों की ओर खींच लाया।

क्राइम ब्रांच अधिकारियों का मानना है कि इस तरह का नेटवर्क तभी पनपता है जब बेरोजगारी, आर्थिक असुरक्षा और सामाजिक दबाव का फायदा उठाकर युवाओं को फंसाया जाता है।

कहां से आया माल और कहां पहुंच रहा था?

दिल्ली के सप्लायरों से लाए जा रहे कोकीन को ट्राईसिटी में छोटे पैकेटों में बेचकर बड़ी रकम कमाई जा रही थी। पंजाब के सप्लायरों से भी कुछ आरोपी जुड़े हुए थे। गुप्त डिलीवरी पॉइंट, ऑनलाइन भुगतान और कूरियर-शैली की डिलीवरी इस पूरी चेन को बेहद चालाक और जोखिमपूर्ण बना रहे थे।

पुलिस के लिए बड़ी सफलता, जांच जारी

चंडीगढ़ पुलिस ने इसे हाल के वर्षों की सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण कार्रवाई बताया है। दोनों मामलों की जांच जारी है और पुलिस अन्य सप्लायरों, हैंडलरों और वित्तीय चैनलों की पहचान कर रही है।

क्राइम ब्रांच का कहना है कि यह कार्रवाई सिर्फ ड्रग पकड़ने भर की नहीं, बल्कि उन सामाजिक परिस्थितियों को पहचानने की भी है, जो युवाओं को ऐसे अपराध में धकेलती हैं।

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