सीजीसी झंजेड़ी अब बना सीजीसी विश्वविद्यालय, मोहाली
शिक्षा जगत में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए चंडीगढ़ ग्रुप ऑफ कॉलेजेज़, झंजेड़ी ने अब सीजीसी विश्वविद्यालय, मोहाली के रूप में अपनी नई पहचान दर्ज कराई है। इसका औपचारिक ऐलान चंडीगढ़ में आयोजित प्रेस सम्मेलन में किया गया। संस्था की 25 वर्ष से अधिक की यात्रा में यह बड़ा पड़ाव माना जा रहा है। संस्थापक कुलपति रशपाल सिंह धालीवाल ने इस अवसर पर कहा, ‘गुणवत्तापूर्ण शिक्षा किसी वर्ग का विशेषाधिकार नहीं, बल्कि हर विद्यार्थी का अधिकार है। सीजीसी विश्वविद्यालय इसी वादे पर आधारित है कि हर छात्र, चाहे उसका कोई भी पृष्ठभूमि हो, उसे सीखने, बढ़ने और सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर मिले। ‘
उद्योग–एकीकृत शिक्षा मॉडल : सीजीसी विश्वविद्यालय ने छात्रों को तकनीक–प्रथम और उद्योग–समन्वित शिक्षा उपलब्ध कराने का लक्ष्य तय किया है। यहां लागू 50:50 शिक्षा मॉडल में छात्रों को आधी पढ़ाई प्राध्यापक और आधी पढ़ाई उद्योग विशेषज्ञ कराएंगे। साथ ही, छात्रों को पढ़ाई के दौरान ही 75,000 रुपए से 1,00,000 रुपए तक की वजीफ़ा आधारित प्रशिक्षण (इंटर्नशिप) का अवसर मिलेगा, जिससे वे आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकेंगे। प्रबंध निदेशक अर्श धालीवाल ने कहा, ‘हम भारत में इसे पहला ‘उद्योग–एकीकृत शिक्षा केंद्र’ बनाना चाहते हैं। हमारा पाठ्यक्रम भविष्य उन्मुख है, जो नवाचार और रोजगार की भाषा बोलता है।’ कार्यक्रम में डॉ. सुशील पराशर, कार्यकारी निदेशक, डी.सी.पी.डी., तथा आई.बी.एम. इंडिया, के.पी.एम.जी., ई.वाई. इंडिया, कॉग्निटल, माइक्रोसॉफ्ट–ऑटोडेस्क–मेटा और इमार्टिकस लर्निंग जैसी संस्थाओं के वरिष्ठ प्रतिनिधि मौजूद रहे। डॉ. पराशर ने बताया कि छात्रों को किताबों से आगे बढ़कर सजीव प्रोजेक्ट्स, केस–अध्ययन और बोर्डरूम अनुभव से भी सीखने का अवसर मिलेगा।
डिजिटल भारत से जुड़ा संकल्प
िश्वविद्यालय ने स्पष्ट किया कि उसका पाठ्यक्रम नई शिक्षा नीति 2020 (एन.ई.पी. 2020) के अनुरूप है और यह कौशल भारत, स्टार्टअप इंडिया तथा डिजिटल इंडिया अभियानों को मजबूती देगा। साथ ही, विश्वविद्यालय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एम.एस.एम.ई.) क्षेत्र को छात्र टीमों के माध्यम से डिजिटल और विपणन सहयोग प्रदान करेगा।
भविष्य के लिए प्रतिबद्ध
एमडी अर्श धालीवाल ने कहा कि सीजीसी विश्वविद्यालय का उद्देश्य केवल रोजगार तक सीमित नहीं, बल्कि ग्रामीण और शहरी युवाओं को समान अवसर देते हुए उन्हें वैश्विक प्रतिस्पर्धा के योग्य बनाना है। विश्वविद्यालय छात्रों को सामाजिक अभियानों और नव–उद्यमों (स्टार्टअप्स) के लिए भी प्रोत्साहित करेगा।