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किडनी ट्रांसप्लांट के बाद कैंसर का हमला—रोबोटिक सर्जरी से मिली नई जिंदगी

चंडीगढ़, 20 जून (ट्रिन्यू) किडनी ट्रांसप्लांट करा चुके 56 वर्षीय मरीज को जब दोबारा कैंसर ने घेरा, तो उम्मीद की किरण उस वक्त जगी जब आधुनिक रोबोटिक तकनीक के ज़रिए उनकी किडनी को बचाते हुए ट्यूमर को पूरी तरह सफलतापूर्वक...
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चंडीगढ़, 20 जून (ट्रिन्यू)

किडनी ट्रांसप्लांट करा चुके 56 वर्षीय मरीज को जब दोबारा कैंसर ने घेरा, तो उम्मीद की किरण उस वक्त जगी जब आधुनिक रोबोटिक तकनीक के ज़रिए उनकी किडनी को बचाते हुए ट्यूमर को पूरी तरह सफलतापूर्वक हटा दिया गया। मरीज को न खून चढ़ाना पड़ा, न डायलिसिस की जरूरत पड़ी—और वे महज़ तीन दिन में अस्पताल से घर लौट आए।

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इस दुर्लभ सर्जरी का नेतृत्व यूरो-ऑन्कोलॉजी और रोबोटिक सर्जरी विशेषज्ञ डॉ. धर्मेंदर अग्रवाल ने किया। पार्शियल नेफ्रेक्टोमी के तहत दा विंची एक्सआई रोबोट की मदद से सिर्फ ट्यूमर को हटाया गया और किडनी को संरक्षित रखा गया। यह सर्जरी फ़ोर्टिस अस्पताल, मोहाली में की गई।

जानलेवा जटिलता भी सुलझी

एक अन्य मामले में, 62 वर्षीय मरीज के पेशाब में खून आने पर जांच से पता चला कि उनकी किडनी में 14 सेमी का बड़ा ट्यूमर था, जो नसों के रास्ते हृदय तक पहुंचने की कगार पर था। यह स्थिति अत्यंत जोखिम भरी थी।

डॉ. अग्रवाल और उनकी टीम ने रोबोटिक रेडिकल नेफ्रेक्टोमी और IVC थ्रोम्बेक्टोमी करते हुए न सिर्फ ट्यूमर, बल्कि खून की नसों में बने थक्कों को भी सुरक्षित रूप से हटा दिया। मरीज की रिकवरी इतनी तेज़ थी कि वह 8 घंटे के भीतर चलने लगे और तीन दिन में अस्पताल से छुट्टी पा ली।

रोबोटिक सर्जरी से रक्तस्राव कम होता है

डॉ. अग्रवाल बताते हैं, “ओपन सर्जरी की तुलना में रोबोटिक सर्जरी से न केवल कम दर्द और रक्तस्राव होता है, बल्कि मरीज जल्द स्वस्थ भी होता है। नई तकनीक के ज़रिए अब ट्यूमर को हटाते हुए किडनी को भी बचाया जा सकता है।”

रोबोटिक सिस्टम 3D हाई-डेफिनिशन विज़न और 360 डिग्री मूवमेंट की क्षमता के साथ उन स्थानों तक सटीक पहुंच बनाता है, जो पारंपरिक तरीकों से संभव नहीं होते।

लंदन से प्रशिक्षित डॉ. धर्मेंदर अग्रवाल अब तक 700 से अधिक रोबोटिक सर्जरी कर चुके हैं। उनकी विशेषज्ञता और आधुनिक तकनीकों के माध्यम से अब ऐसे जटिल कैंसर केस भी सफलतापूर्वक हल किए जा रहे हैं, जो पहले असंभव माने जाते थे।

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