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जमीन उजाड़ कर भरोसा भी उजाड़ रही सरकार

नई लैंड पूलिंग नीति में छोटे किसानों के साथ नाइंसाफी, विपक्षी नेता बोले
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जीती सिद्धू, कुलजीत बेदी, परमदीप सिंह, परविंदर सोहाना
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मोहाली, 5 जून (निस)

पंजाब सरकार द्वारा लाई गई नई लैंड पूलिंग नीति को लेकर मोहाली में छोटे किसानों और जमीन मालिकों में भारी नाराज़गी देखी जा रही है। इसके साथ-साथ राजनीतिक और किसान नेता इस मामले में सरकार की आलोचना करते हुए पुरानी नीति को ही फिर से लागू करने की मांग कर रहे हैं। मेयर अमरजीत सिंह जीती सिद्धू, डिप्टी मेयर कुलजीत सिंह बेदी, शिरोमणि अकाली दल हल्का प्रमुख सेवादार परविंदर सिंह सोहाना ने नई स्कीम को छोटे किसानों के लिए ‘घातक’ और ‘भरोसा तोड़ने वाली’ करार दिया। मोहाली के मेयर जीती सिद्धू ने पूरी नीति को ड्रामेबाज़ी बताते हुए सख़्त नाराज़गी जताई। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि यह नीति सफल होगी। लिखा कुछ और है और होने वाला कुछ और है। यह तो सीधे छोटे ज़मीनदारों को उजाड़ने वाली योजना है। पहले बूथ मिल जाया करते थे, अब कुछ भी नहीं। सरकार कौन सी सर्विस लाएगी, कौन पैसा लगाएगा। शिरोमणि अकाली दल हल्का मोहाली के प्रमुख सेवादार परविंदर सिंह सोहाना ने मुख्यमंत्री को लिखी चिट्ठी में बताया कि 1 से 3 कनाल के मालिकों को अब कमर्शियल प्लॉट नहीं मिल रहे, जो पहले मिला करते थे। उन्होंने कहा कि पिछली नीति में 1 कनाल मालिक को 150 वर्ग गज रिहायशी के साथ 25 वर्ग गज़ कमर्शियल भी मिलता था, अब सिर्फ 150 वर्ग गज रिहायशी जगह दी जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह नीति छोटे मालिकों की आर्थिक मज़बूती को खत्म कर देगी और नौजवानों को बेरोजगार बनाएगी। उन्होंने मांग की कि कमर्शियल हिस्सा न होने की सूरत में कम से कम 3 गुना रिहायशी रकबा दिया जाए।

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डिप्टी मेयर कुलजीत सिंह बेदी ने बताया कि नई स्कीम में न तो छोटे ज़मीन मालिकों को कमर्शियल हिस्सा दिया जा रहा है और न ही उन्हें पुरानी नीति के अनुसार रिहायशी प्लॉट चुनने का हक दिया जा रहा है। मोहाली में बड़े ज़मीनदार नहीं, सारे छोटे किसान हैं। यह स्कीम बिल्डरों के लिए बनाई गई है और छोटों का उजाड़ा है। उन्होंने मांग की कि लैंड पूलिंग नीति को तत्काल रोककर जनता से आपत्तियां ली जाएं और पुरानी नीति को दोबारा लागू किया जाए।

किसान नेता परमदीप सिंह बैदवान ने कहा कि नई लैंड पूलिंग नीति छोटे किसानों के लिए बहुत नुकसानदायक सौदा है। इस स्कीम में न तो रोज़गार के साधन हैं और न ही किसान की जमीन की कोई कद्र। उन्होंने कहा कि जो लोग प्रभावित हैं, उनके साथ सलाह-मशवरा करके ही नीतियां बनानी चाहिए। अगर किसान ही खुश नहीं, तो ऐसी नीति किसी काम की नहीं। हालांकि पंजाब सरकार यह दावा कर रही है कि नई लैंड पूलिंग नीति किसानों के लिए बहुत बेहतर है लेकिन न तो किसान इससे खुश हैं और न ही विपक्षी दलों के नेता। इन सभी ने चेतावनी दी कि अगर यह नीति वापस लेकर पुरानी व्यवस्था फिर से लागू नहीं की गई, तो लोग सड़कों पर उतरेंगे।

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