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Brain Stroke भारत में बढ़ता खतरा : ब्रेन स्ट्रोक बन रहा ‘साइलेंट महामारी’

हर साल 1.5 से 2 मिलियन नए मामले
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Brain Stroke ब्रेन स्ट्रोक अब एक ‘साइलेंट महामारी’ के रूप में उभर रहा है, जो हर साल एड्स, तपेदिक और मलेरिया से मिलकर होने वाली मौतों से भी ज्यादा जानें ले रहा है। विश्व स्ट्रोक दिवस की पूर्व संध्या पर मोहाली के पार्क हॉस्पिटल में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान विशेषज्ञों ने इस गंभीर स्थिति को लेकर चिंता जताई और लोगों से समय पर पहचान और इलाज पर जोर देने की अपील की।

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पार्क हॉस्पिटल मोहाली के ग्रुप डायरेक्टर इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी डॉ. संदीप शर्मा ने बताया कि भारत में हर साल 1.5 से 2 मिलियन नए ब्रेन स्ट्रोक के मामले दर्ज किए जाते हैं। वास्तविक संख्या इससे भी अधिक हो सकती है, क्योंकि बड़ी संख्या में मरीज अस्पताल तक पहुंच ही नहीं पाते। उन्होंने कहा, ‘भारत में हर दिन करीब 3000 से 4000 ब्रेन स्ट्रोक के मामले सामने आते हैं, लेकिन इनमें से केवल 2 से 3 प्रतिशत मरीजों को ही उचित उपचार मिल पाता है।’

डॉ. शर्मा ने बताया कि विश्व स्तर पर हर एक लाख की आबादी में ब्रेन स्ट्रोक की दर 60 से 100 के बीच है, जबकि भारत में यह दर 145 प्रति लाख तक पहुंच चुकी है। वैश्विक स्तर पर जितने ब्रेन स्ट्रोक के मरीज हैं, उनमें से 60 प्रतिशत भारत में हैं, जो एक बेहद चिंताजनक आंकड़ा है।

24 घंटे तक संभव है उपचार

न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. संगीता प्रधान ने बताया कि अब ‘मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी’ नामक अत्याधुनिक तकनीक के जरिए स्ट्रोक के कुछ मामलों में 24 घंटे तक उपचार संभव हो गया है। यह तकनीक अब पार्क हॉस्पिटल मोहाली में उपलब्ध है।

इस विधि में मस्तिष्क में बने थक्के (क्लॉट) को बिना सर्जरी किए स्टेंट या सक्शन तकनीक की मदद से हटाया जाता है, जिससे मरीज की जान और मस्तिष्क की कार्यक्षमता दोनों को बचाया जा सकता है।

नए दिशा-निर्देश और समय की अहमियत

न्यूरोसर्जरी कंसल्टेंट डॉ. अनिल सोफत ने बताया कि हाल ही में अमेरिकन स्ट्रोक एसोसिएशन ने भी अपने दिशा-निर्देशों में संशोधन किया है और ‘मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी’ को स्ट्रोक मरीजों के लिए प्राथमिक उपचार के रूप में अनुशंसित किया है। उन्होंने कहा कि केवल अस्पताल पहुंचना पर्याप्त नहीं, बल्कि ऐसे अस्पताल तक पहुंचना जरूरी है जो ब्रेन स्ट्रोक उपचार के लिए तैयार और सक्षम हो।

कंसल्टेंट रेडियोलॉजिस्ट डॉ. गौरव धवन ने कहा कि स्ट्रोक के मामलों में ‘समय ही मस्तिष्क है’। ब्रेन स्ट्रोक के बाद हर मिनट में 1.90 मिलियन मस्तिष्क कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं, इसलिए मरीज को तुरंत उपचार केंद्र तक पहुंचाना ही जान बचाने का सबसे प्रभावी तरीका है।

ब्रेन स्ट्रोक से बचाव के 10 जरूरी उपाय

 

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