Brain Emergency अचानक ब्रेन हेमरेज, फिर जीवन की जीत
अचानक तेज सिरदर्द, चक्कर और बेहोशी। तीस वर्ष की एक युवती के लिए यह पल जीवन और मृत्यु के बीच खड़ी एक खतरनाक रेखा बन गया। बाद में पता चला कि यह एक्यूट सबराक्नॉइड ब्रेन हेमरेज था, जो दिमाग की खून की नली में बने एन्यूरिज्म फटने से हुआ। ऐसी स्थिति में कुछ ही मिनटों की देरी हमेशा के लिए अपंगता या मृत्यु में बदल सकती है। लेकिन आधुनिक न्यूरो-इंटरवेंशनल तकनीक ने इस युवती के लिए चमत्कार का रास्ता खोल दिया।
इलाज के लिए उसे तुरंत फोर्टिस हॉस्पिटल मोहाली पहुंचाया गया, जहां रैपिड न्यूरो-इमेजिंग ने गंभीर ब्लीडिंग की पुष्टि की। स्थिति बेहद नाजुक थी। पारंपरिक ओपन ब्रेन सर्जरी में जोखिम ज्यादा था, इसलिए डॉक्टरों ने मिनिमली इनवेसिव एंडोवैस्कुलर कॉइलिंग का रास्ता चुना। इस एडवांस्ड प्रोसीजर में कैथेटर के जरिए प्लैटिनम कॉइल दिमाग की आर्टरी तक पहुंचाई जाती है और फटे हुए एन्यूरिज्म को भीतर से सील कर दिया जाता है। न कट लगती है, न ओपन सर्जरी की जरूरत पड़ती है, लेकिन असर जीवन रक्षक होता है।
फोर्टिस मोहाली के इंटरवेंशनल न्यूरोरेडियोलॉजी विभाग के कंसल्टेंट डॉ. विवेक अग्रवाल और उनकी टीम ने यह चुनौतीपूर्ण प्रोसीजर तुरंत शुरू किया। समय कम था, लेकिन कार्रवाई सटीक। एंडोवैस्कुलर कॉइलिंग सफल रही और मरीज की हालत तेजी से सुधरने लगी। पोस्ट-ऑपरेटिव केयर के दौरान उसकी न्यूरोलॉजिकल रिकवरी उल्लेखनीय रही और सिर्फ चार दिन में उसे अस्पताल से छुट्टी मिल गई। अब वह लगभग सामान्य जीवन जी रही है।
डॉ. अग्रवाल बताते हैं कि समय पर डायग्नोसिस और समन्वित इलाज ही ऐसे मामलों में जीवन बचाते हैं। उन्होंने कहा कि फोर्टिस मोहाली में उपलब्ध चौबीसों घंटे न्यूरो-रेडी इंफ्रास्ट्रक्चर, एडवांस्ड इमेजिंग और मल्टीडिसिप्लिनरी एक्सपर्टीज ने इस केस में निर्णायक भूमिका निभाई।
यह मामला न सिर्फ एक मरीज की राहत की कहानी है, बल्कि यह भी दिखाता है कि एडवांस्ड एंडोवैस्कुलर तकनीक कैसे उन स्थितियों में भी जीवन बचा सकती है जहां परिणाम अत्यंत अनिश्चित माने जाते हैं।
