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Books Still Breathe किताबें अभी ज़िंदा हैं... डिजिटल युग में भी नहीं बुझी पढ़ने की लौ

Books Still Breathe तेजी से डिजिटल होती दुनिया में जहां स्क्रीन ने किताबों की जगह हथिया ली है, वहीं पोस्ट ग्रेजुएट गवर्नमेंट कॉलेज, सेक्टर 11 (पीजीजीसी-11), चंडीगढ़ में आयोजित एक प्रेरक व्याख्यान ने यह साबित किया कि किताबों की खुशबू...

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Books Still Breathe तेजी से डिजिटल होती दुनिया में जहां स्क्रीन ने किताबों की जगह हथिया ली है, वहीं पोस्ट ग्रेजुएट गवर्नमेंट कॉलेज, सेक्टर 11 (पीजीजीसी-11), चंडीगढ़ में आयोजित एक प्रेरक व्याख्यान ने यह साबित किया कि किताबों की खुशबू अब भी ज़िंदा है।
‘स्क्रीन के दौर में किताबों की दुनिया’ विषय पर हुए इस कार्यक्रम का आयोजन कॉलेज के प्राचार्य प्रो. जे.के. सहगल के मार्गदर्शन में हुआ। उन्होंने कहा कि किताबें केवल ज्ञान का स्रोत नहीं, बल्कि संस्कृति, मूल्य और विचारों की विरासत हैं। उन्होंने गर्व व्यक्त किया कि कॉलेज के पूर्व छात्र आज देश और समाज में विशिष्ट योगदान दे रहे हैं और संस्थान की पहचान को नई ऊंचाई पर पहुंचा रहे हैं।

मुख्य वक्ता शील वर्धन सिंह, आईपीएस (सेवानिवृत्त), जो वर्तमान में संघ लोक सेवा आयोग के सदस्य और सीआईएसएफ के पूर्व महानिदेशक हैं, ने अपने गहन विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि किताबें प्रतिस्पर्धा नहीं करतीं, वे आत्मा से संवाद करती हैं। उन्होंने बताया कि किताबों ने उनके जीवन को दिशा दी, निर्णयों में गहराई और विचारों में संवेदना जोड़ी।

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इस अवसर पर कई प्रतिष्ठित पूर्व छात्र उपस्थित रहे जिनमें भाजपा चंडीगढ़ के पूर्व अध्यक्ष और समाजसेवी संजय टंडन, आईएएस (सेवानिवृत्त) मनिंदर सिंह बैंस, आईआरएस (सेवानिवृत्त) नवनीत सोनी, आईआरएस (सेवानिवृत्त) जगसीर एस. मान, सुखजीत एस. धीमान, राजीव मल्होत्रा, विनीत नंदा और योगेश चंदर शामिल थे। सभी ने कॉलेज के दिनों को याद किया और कहा कि किताबें व्यक्ति को सोचने, महसूस करने और रचने की शक्ति देती हैं।

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कार्यक्रम का समापन छात्रों और शिक्षकों के बीच हुए संवादात्मक सत्र से हुआ जिसमें इस विचार पर सहमति बनी कि स्क्रीन की रोशनी चाहे जितनी तेज़ हो, विचारों का दीपक अब भी किताबों के पन्नों से ही जलता है।

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