Beyond Nature कैनवस पर सजी प्रकृति की आत्मा : ‘बियोंड द वर्ल्ड’ प्रदर्शनी ने दिलों को छुआ
पेंटिंग प्रदर्शनी ‘बियोंड द वर्ल्ड’ का उद्घाटन दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय ने किया
ललित कला अकादमी का माहौल रविवार शाम रंगों, संवेदनाओं और प्रकृति की आत्मा से भर उठा, जब पंचकूला की कलाकार प्रतिभा अवस्थी की पेंटिंग प्रदर्शनी ‘बियोंड द वर्ल्ड’ का दीप प्रज्ज्वलन दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय ने किया। प्रदर्शनी का उद्घाटन केवल एक औपचारिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि प्रकृति के प्रति सम्मान और कला के प्रति आस्था का प्रतीक था। इस अवसर पर हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष के सलाहकार राम नारायण यादव, पद्मश्री क्लासिकल डांसर कमलिनी और नलिनी, तथा कई नामचीन कलाकार मौजूद रहे।
प्रकृति को महसूस करने की कला
प्रतिभा अवस्थी की पेंटिंग्स देखने वाला हर व्यक्ति खुद को उन रंगों के संसार में पाता है, जहां प्रकृति बोलती है, सांस लेती है और आत्मा को छूती है। उनकी कला में केवल ब्रश की चाल नहीं, बल्कि उस आत्मीय स्पर्श की झलक है, जो किसी साधक के ध्यान से उपजती है।
उनकी श्रृंखला ‘बियोंड द वर्ल्ड’ में मेघालय के जीवित जड़ सेतु (Living Root Bridges) केंद्र में हैं — वे पुल जिन्हें खासी और जयंतिया जनजातियां वृक्षों की जड़ों को गूंथकर दशकों में तैयार करती हैं। ये सेतु केवल जनजातीय जीवन का हिस्सा नहीं, बल्कि प्रकृति और मनुष्य के गहरे रिश्ते का सजीव प्रतीक हैं। प्रतिभा कहती हैं कि ‘मैंने उन जड़ों में केवल संरचना नहीं देखी, बल्कि जीवन देखा। वे पुल सांस लेते हैं, बढ़ते हैं और प्रकृति के साथ जीते हैं -ठीक वैसे ही जैसे कला।’
हिमालय की गोद से मिली प्रेरणा
हिमालय की वादियों, नदियों की गूंज और हरे पहाड़ों की सांसों से जुड़ी प्रतिभा अवस्थी की यात्राएं उनकी कला की आत्मा बन गईं। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, असम और मेघालय की यात्राओं के दौरान उन्होंने न केवल प्रकृति की सुंदरता देखी, बल्कि उसे आत्मा से महसूस किया। उनके हर स्ट्रोक में वह अनुभूति झलकती है — जैसे पेड़ों की हर शाखा में कोई प्रार्थना बह रही हो। उनके कैनवस पर हरा रंग केवल एक रंग नहीं, बल्कि जीवन, सुकून और धरती से जुड़ाव का प्रतीक बनकर उभरता है।
संवेदनशीलता और संरक्षण का संदेश
‘बियोंड द वर्ल्ड’ प्रदर्शनी केवल कला का प्रदर्शन नहीं, बल्कि प्रकृति संरक्षण और सह-अस्तित्व की पुकार है। इस श्रृंखला के हर चित्र में यह संदेश झलकता है कि जब हम प्रकृति से दूर जाते हैं, तो अपनी जड़ों से कट जाते हैं।
प्रतिभा अवस्थी की कला दर्शकों को यह सोचने पर विवश करती है कि क्या हम सच में इस धरती को उतना महसूस करते हैं, जितना वह हमें महसूस करती है। उनकी पेंटिंग्स एक प्रश्न की तरह हैं मौन, पर गहरे।
प्रदर्शनी में आए कला प्रेमियों ने कहा कि प्रतिभा की कृतियां रंगों से ज्यादा भावनाओं की भाषा बोलती हैं। किसी ने कहा, ‘ये पेंटिंग्स केवल देखी नहीं जातीं, महसूस की जाती हैं।’