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AyurSpin 2025 : राष्ट्रीय स्तर पर रीढ़ विकारों के आयुर्वेदिक प्रबंधन पर होगा मंथन

AyurSpin 2025 श्री धन्वंतरि आयुर्वेदिक कॉलेज और अस्पताल, आयुष मंत्रालय की आयुर्वेद स्वास्थ्य योजना के उत्कृष्टता केंद्र के अंतर्गत 11 और 12 नवंबर 2025 को ‘क्रोनिक स्पाइन डिसऑर्डर की देखभाल और आयुर्वेदिक प्रबंधन’ पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सतत चिकित्सा शिक्षा...

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AyurSpin 2025 श्री धन्वंतरि आयुर्वेदिक कॉलेज और अस्पताल, आयुष मंत्रालय की आयुर्वेद स्वास्थ्य योजना के उत्कृष्टता केंद्र के अंतर्गत 11 और 12 नवंबर 2025 को ‘क्रोनिक स्पाइन डिसऑर्डर की देखभाल और आयुर्वेदिक प्रबंधन’ पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सतत चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रम (सीएमई) ‘आयुरस्पिन 2025’ आयोजित करेगा। यह कार्यक्रम आयुष मंत्रालय द्वारा प्रायोजित है और राष्ट्रीय भारतीय चिकित्सा पद्धति आयोग (एनसीआईएसएम) के मानकों के अनुरूप आयोजित किया जा रहा है।

इस राष्ट्रीय आयोजन का उद्देश्य देशभर से 135 चयनित आयुर्वेदिक चिकित्सकों, शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं को एक मंच पर लाना है, ताकि रीढ़ की हड्डी के दीर्घकालिक विकारों के प्रबंधन में नवीनतम आयुर्वेदिक दृष्टिकोण, नैदानिक तकनीक और अनुसंधान प्रगति पर विचार-विमर्श किया जा सके।

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उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि प्रो. राज बहादुर (क्षेत्रीय स्पाइनल इंजरीज़ केंद्र, मोहाली) होंगे। इस अवसर पर डॉ. कौस्तुभ उपाध्याय (सलाहकार, आयुष मंत्रालय) और प्रो. राकेश शर्मा (पूर्व अध्यक्ष, आचार एवं पंजीकरण बोर्ड, एनसीआईएसएम) भी उपस्थित रहेंगे। कॉलेज के प्रशासक और निदेशक पंडित सुदर्शन कुमार शास्त्री तथा प्राचार्य डॉ. सुमित श्रीवास्तव ने बताया कि ‘आयुरस्पिन 2025’ श्री धन्वंतरि कॉलेज की आयुर्वेदिक शिक्षा, अनुसंधान और रोगी देखभाल में उत्कृष्टता की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।

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12 सत्र होंगे आयोजित

कार्यक्रम के दौरान 12 विशेषज्ञ सत्र आयोजित किए जाएंगे, जिनमें देश के प्रतिष्ठित आयुर्वेद संस्थानों के विशेषज्ञ चिकित्सक जैसे डॉ. संतोष कुमार भट्टेड, डॉ. सर्वेश कुमार अग्रवाल, डॉ. आर. के. यादव, डॉ. गिरीश कुलकर्णी, डॉ. मुरली कृष्ण, डॉ. हेमलता सारंग शेटे आदि अपने विचार और अनुभव साझा करेंगे।

इन सत्रों में पंचकर्म, आहार-विहार सुधार, योग तकनीक, स्पाइनल इमेजिंग, नैदानिक रणनीतियाँ और अनुसंधान प्रवृत्तियों जैसे विषय शामिल होंगे, जिनका उद्देश्य आयुर्वेदिक स्पाइन केयर में मानकीकरण और दक्षता बढ़ाना है।

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