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पंजाब में बने सशक्त वृक्ष संरक्षण अधिनियम

वटरुख फाउंडेशन ने पत्रकार वार्ता में उठाया मामला
चंडीगढ़ में बुधवार को पत्रकारों से मुखातिब बाएं से समिता कौर, डॉ. मंजीत सिंह, कर्नल जसजीत सिंह गिल और कपिल अरोड़ा। -दैनिक ट्रिब्यून
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पेड़ों को बचाये रखने के लिए अनेक राज्यों में कई सख्त प्रावधान हैं, लेकिन पंजाब में पेड़ों के संरक्षण के संबंध में मौजूदा नियमों और प्रस्तावित अधिनियम में बहुत खामियां हैं। इसके चलते यहां का वन क्षेत्र लगातार कम हो रहा है और अनियोजित विकास के चलते पेड़ों की बलि दी जा रही है। राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने सरकार को अब सख्त निर्देश दिए हैं। इसके मुताबिक इस साल नवंबर तक वृक्ष संरक्षण से लेकर उनकी गणना तक अधिनियम लाया जाना है। पर्यावरणविदों का कहना है कि सरकार के प्रस्तावित ‘वृक्ष संरक्षण अधिनियम 2025’ में कई कमियां हैं और इसमें सुधार लाने के लिए लगातार सरकार से कहा जा रहा है, लेकिन पंजाब सरकार इस पर गौर नहीं कर रही।

इस संबंध में बुधवार को चंडीगढ़ में वटरुख फाउंडेशन ने पत्रकार वार्ता में संबंधित मुद्दों को उठाया। पर्यावरणविद समिता कौर, डॉ. मंजीत सिंह, कर्नल जसजीत सिंह गिल और इंजीनियर कपिल अरोड़ा ने उन मुद्दों को क्रमवार रखा जो उन्होंने सरकार के सामने उठाए हैं। उन्होंने कहा कि विकास की स्पष्ट व्याख्या होनी चाहिए जिसके नाम पर पेड़ों को काटा जा रहा है। साथ ही रीप्लांटिंग, एक पेड़ के बदले 15 पेड़ों की नीति, हेरिटेज पेड़ों का संरक्षण, पेड़ कटाई पर पर्याप्त हर्जाना और किसानों को कार्बन क्रेडिट जैसे तमाम मुद्दों को प्रस्तावित अधिनियम में जोड़ा जाना चाहिए। वक्ताओं ने बताया कि उन्होंने पिछले महीने विधानसभा के मानसून सत्र में एक विधेयक लाने के संबंध में एक ईमेल अभियान चलाया, जिसका मसौदा पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, विधानसभा अध्यक्ष कुलतार सिंह संधवां, नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा, मुख्य सचिव और अन्य संबंधित अधिकारियों को भेजा गया। वक्ताओं ने कहा कि पंजाब में कोई अपीलीय निकाय नहीं है, जहां शिकायतों का निवारण हो, या पेड़ों की कटाई, छंटाई आदि से संबंधित अनुमति हो। इसलिए, एक व्यापक वृक्ष संरक्षण अधिनियम की आवश्यकता है।

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