विवेक शर्मा/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 20 अप्रैल
चंडीगढ़ प्रशासन के कैपिटल आफ पंजाब एक्ट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) एक्ट 1952 में संशोधन कर पेनल्टी बढ़ाने के मामले में शहर के 27 व्यापारिक और अन्य संस्थाओं की बैठक सोमवार को यूटी गेस्ट हाउस में डीसी विनय प्रताप के साथ हुई। इसमें सभी ने दो टूक कहा कि पहले प्रशासन नीड बेस्ड चेंजेज पॉलिसी और वॉयलेशन में अंतर करे और फिर नियम बनाए। उन्हें प्रशासन का संशोधन प्रस्ताव मंजूर नहीं है। संगठनों ने नये प्रस्ताव पर कई आपत्तियां जताईं। कारोबारियों का कहना था कि प्रशासन को नीड बेस्ड चेंजेज और वॉयलेशन में अंतर करना चाहिए। दोनों ही अलग-अलग हैं। प्रशासन ने कारोबारियों और लोगों को वॉयलेशन के जो नोटिस दिए हैं वे गलत हैं, उन्हें तुरंत वापस लेना चाहिए। इन नोटिसों में यह साफ नहीं है कि क्या वॉयलेशन की गई है।
भाजपा नेता संजय टंडन ने भी कारोबारियों की तरफ से बात रखी। कुछ संगठनों का कहना था कि कमर्शियल और घरेलू वॉयलेशन के लिए एक बराबर जुर्माने का प्रावधान किया गया है। दोनों के लिए अलग-अलग पॉलिसी होनी चाहिए। कुछ कारोबारियों का कहना था कि कलेक्टर रेट के हिसाब से जुर्माना नहीं लगना चाहिए। वॉयलेशन कैसी है और कितनी है, उसे देखा जाना चाहिए।
बैठक में चंडीगढ़ व्यापार मंडल के अध्यक्ष चरणजीव सिंह ने कहा कि प्रशासन पहले बायलॉज को देखे और किसी पेनल्टी में वृद्धि से पहले बदलाव की जरूरत पर विचार करे। सीबीएम ने कहा कि पेनल्टी लगाने की बजाय सरकार को शहर के व्यापार को बढ़ाने बारे सोचना चाहिए। उद्योग व्यापार मंडल के अध्यक्ष कैलाश जैन ने कहा कि प्रशासन किसी एक्ट में संशोधन नहीं कर सकता है तो फिर बिल्डिग बायलॉज व मिस्यूज को लेकर कैसे नोटिस जारी कर सकता है। इस प्रस्ताव को प्रशासन केंद्र को भेज सकता है और उसके बाद लोकसभा में इसके संशोधित कर सकता है। प्रशासन ने जल्द इस संबंध में नोटिस खत्म नहीं किया तो हर मार्केट में विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।
डीसी विनय प्रताप ने संगठनों को बताया कि 2007 के बाद से कोई संशोधन नहीं किया गया था। अभी जो जुर्माना 2 लाख रुपए लगाया गया है, वह सर्वाधिक है। मौका देखने पर जुर्माना एक रुपए से दस हजार भी हो सकता है। उन्होंने कहा कि अभी वह संगठनों की आपत्तियां सुन रहे हैं। उनके सुझावों पर काम किया जाएगा। नये प्रस्ताव को लेकर अगली बैठक की जाएगी, उसके बाद ही प्रशासन आगे बढ़ेगा।
ये है प्रस्ताव
कैपिटल ऑफ पंजाब (डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन) एक्ट, 1952 में संशोधन करके प्रशासन ने भवन नियमों के उल्लंघन व दुरुपयोग पर जुर्माने की राशि को 400 गुना बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है। नए प्रस्ताव में सभी तरह के उल्लंघन के लिए अब फिक्स 2 लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान रखा गया है। अगर उल्लंघन को हटाया नहीं जाता है, तो 8 हजार रुपये प्रतिदिन के हिसाब से चार्जेज तय किए गए हैं। वर्ष 2007 में प्रशासन ने भवन नियमों के उल्लंघन व दुरुपयोग पर जुर्माने की राशि 10 रुपये से बढ़ाकर 500 रुपये प्रति स्क्वॉयर फुट प्रति महीने कर दी थी।