चंडीगढ़, 3 अक्तूबर (ट्रिन्यू)
पंजाब विश्वविद्यालय के तीन भाषा विभागों द्वारा एक साथ मिलकर शनिवार को वेब संवाद का आयोजन किया गया। हिंदी, उर्दू व पंजाबी विभाग द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित यह परिचर्चा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को समर्पित थी जिसका विषय ‘नयी शिक्षा नीति एवं भारतीय भाषाएं’ था।
इस वेब संवाद में मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजकुमार ने कहा कि हर भारतीय भाषा के पास ज्ञान और संस्कृति का खजाना है और अगर हम मिलकर आगे बढ़ेंगे तो हमें लाभ ही लाभ होगा। उन्होंने कहा कि नयी शिक्षा नीति में भारतीय भाषाओं के विकास पर पहली बार इतना ध्यान दिया गया है।
केएमसी भाषा विश्वविद्यालय, लखनऊ के कुलपति प्रो. माहरुख मिर्ज़ा ने कहा कि नयी शिक्षा नीति में शिक्षकों की जिम्मेदारी बहुत बढ़ गई है। अब शिक्षकों को भी अपनी दक्षता बढ़ाने के लिए प्रयास करने होंगे। जेएनयू, नयी दिल्ली के डीन छात्र प्रो. सुधीर प्रताप सिंह ने कहा कि भाषाओं को बचाने की प्रतिबद्धता नयी शिक्षा नीति में दिखाई देती है लेकिन अब इसी भावना का ध्यान विशेषकर पाठ्यक्रम बनाते हुए सभी विश्वविद्यालयों को रखना होगा।
पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला के प्रो. जोगा सिंह ने कहा कि अंग्रेजी का वर्चस्व तभी खत्म हो पाएगा, जब मातृभाषा में शिक्षा देने के प्रस्ताव को लागू करने के लिए बाकायदा कानून बनाया जाए।
हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ. गुरमीत सिंह और पंजाबी विभाग के अध्यक्ष प्रो. सरबजीत सिंह ने
सभी वक्ताओं का धन्यवाद किया। वेब संवाद का संचालन उर्दू विभाग के अध्यक्ष डॉ. अली अब्बास
ने किया।