मुख्य समाचारदेशविदेशहरियाणाचंडीगढ़पंजाबहिमाचलबिज़नेसखेलगुरुग्रामकरनालडोंट मिसएक्सप्लेनेरट्रेंडिंगलाइफस्टाइल

Advocates Act 1961: सरकारी वकीलों के पदनाम में ‘अटॉर्नी’ शब्द गैरकानूनी!, हाई कोर्ट अधिवक्ता ने भेजा कानूनी नोटिस

Advocates Act 1961: हरियाणा, पंजाब और यूटी चंडीगढ़ की सरकारी सेवा में कार्यरत वकीलों के पदनाम में प्रयुक्त ‘अटॉर्नी’ (न्यायवादी) शब्द को लेकर नया कानूनी विवाद खड़ा हो गया है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने तीनों...
Advertisement

Advocates Act 1961: हरियाणा, पंजाब और यूटी चंडीगढ़ की सरकारी सेवा में कार्यरत वकीलों के पदनाम में प्रयुक्त ‘अटॉर्नी’ (न्यायवादी) शब्द को लेकर नया कानूनी विवाद खड़ा हो गया है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने तीनों सरकारों को एक कानूनी नोटिस भेजकर सवाल उठाया है कि जब वर्ष 1976 में संसद ने एडवोकेट्स एक्ट, 1961 से ‘अटॉर्नी’ शब्द ही हटा दिया था, तो फिर आज सरकारी वकीलों के पदनाम में यह शब्द क्यों जारी है।

हेमंत के अनुसार, देश में आज केवल दो श्रेणियों के वकील - एडवोकेट और सीनियर एडवोकेट को ही कानूनी मान्यता प्राप्त है और किसी भी सरकारी या निजी प्रेक्टिस करने वाले वकील को ‘अटॉर्नी’ नहीं कहा जा सकता। उन्होंने कहा कि जब संसद ने इस शब्द को कानून से हटा दिया, तो राज्यों द्वारा इसका उपयोग न सिर्फ गलत बल्कि एडवोकेट्स एक्ट का उल्लंघन है।

Advertisement

हेमंत कुमार ने हरियाणा, पंजाब और यूटी प्रशासन को नोटिस भेजते हुए कहा है कि नियमित सरकारी सेवा में तैनात डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी (डीए), डिप्टी डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी (डीडीए) और असिस्टेंट डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी (एडीए) के पदनाम में ‘अटॉर्नी’ शब्द का प्रयोग कानूनन अनुचित है। उन्होंने कहा कि सरकारी सेवा में इनकी नियुक्ति लोक सेवा आयोगों के माध्यम से होती है और इन्हें सिविल मामलों में गवर्नमेंट प्लीडर (जीपी) तथा आपराधिक मामलों में पब्लिक प्रॉसिक्यूटर (पीपी) के तौर पर नामित किया जाता है। ऐसे में ‘अटॉर्नी’ शब्द का कोई औचित्य नहीं बचता।

पंजाब व चंडीगढ़ ने लिया संज्ञान, हरियाणा से जवाब बाकी

इस नोटिस पर पंजाब के राज्यपाल और मुख्यमंत्री कार्यालय ने तुरंत संज्ञान लेते हुए गृह सचिव को कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। चंडीगढ़ प्रशासन ने भी इस मामले पर विचार शुरू कर दिया है। हालांकि हरियाणा सरकार का जवाब फिलहाल लंबित बताया जा रहा है। एडवोकेट हेमंत ने स्पष्ट किया कि देश के संविधान के अनुच्छेद 76 में केवल एक पद अटार्नी जनरल ऑफ इंडिया (भारत के महान्यायवादी) का उल्लेख है, जो सर्वोच्च संवैधानिक विधि पद है। इसके अलावा देश में किसी राज्य या जिले में एडिशनल, डिप्टी या असिस्टेंट अटार्नी जनरल जैसे पदों का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है।

Advertisement
Tags :
Advocate Hemant KumarAdvocates Act 1961AttorneyHindi Newsअटार्नीएडवोकेट्स एक्ट 1961वकील हेमंत कुमारहिंदी समाचार
Show comments