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अदालत के आदेश पर गमाडा की संपत्ति अटैच करने की कार्रवाई शुरू

मोहाली स्थित गमाडा दफ़्तर में सोमवार को उस समय हंगामा खड़ा हो गया जब गांव भागो माजरा के निवासी बड़ी संख्या में आ पहुंचे और अदालत के आदेश पर अधिकारियों ने लैंड एक्विज़िशन कलेक्टर (एलएसी) के कार्यालय से संपत्ति को...
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मोहाली स्थित गमाडा के एलएसी दफ्तर में पहुंचे गांव भागो माजरा के निवासी।-निस
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मोहाली स्थित गमाडा दफ़्तर में सोमवार को उस समय हंगामा खड़ा हो गया जब गांव भागो माजरा के निवासी बड़ी संख्या में आ पहुंचे और अदालत के आदेश पर अधिकारियों ने लैंड एक्विज़िशन कलेक्टर (एलएसी) के कार्यालय से संपत्ति को अटैच करने की कार्रवाई शुरू की।

मिली जानकारी के अनुसार, जिला एवं सत्र अदालत एसएएस नगर ने एक ऐतिहासिक आदेश में पंजाब सरकार की चल संपत्ति अटैच करने का वारंट जारी किया। यह कार्रवाई उस निष्पादन केस से जुड़ी है, जिसे गज्जन सिंह ने दायर किया था। मामले की सुनवाई अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश-2, मोहाली ने की। आदेश के बाद अदालत अधिकारियों ने गमाडा कार्यालय में कार्रवाई को अंजाम दिया।

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जानकारी के अनुसार गमाडा ने गांव भागो माजरा के रास्तों का करीब 3.98 करोड़ रुपये का एनहांसमेंट मुआवज़ा गांव भागो माजरा के किसानों को देना है। गांव के सरपंच गुरजंट सिंह ने पुष्टि करते हुए कहा कि यह आदेश 2016 में हमारे पक्ष में हुआ था, लेकिन नौ साल बीत जाने के बाद भी लागू नहीं हुआ। अब मजबूरन अदालत को कड़ा कदम उठाना पड़ा है। अदालत के 1 सितंबर, 2025 के वारंट में निर्देश दिया गया है कि गमाडा की चल संपत्ति अटैच कर 3 सितंबर तक अनुपालन रिपोर्ट अदालत में जमा की जाए। आदेश में साफ कहा गया कि कार्रवाई हर हाल में पूरी की जाए और 3 सितंबर को अदालत को बताया जाए। लैंड एक्विज़िशन कलेक्टर हरबंस सिंह (पीसीएस) ने कहा कि भुगतान यूनिटेक कंपनी द्वारा किया जाना है क्योंकि जमीन गमाडा ने यूनिटेक के लिए अधिगृहीत की थी। कंपनी अधिकारियों को बुलाया गया है और आगे की कार्रवाई जारी है। मौके पर अकाली नेता जसवीर सिंह जस्सा ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार के पास पहले से अधिगृहीत ज़मीनों के बकाये चुकाने के पैसे नहीं हैं, लेकिन फिर भी नयी अधिग्रहण योजनाएं बना रही है। हाल ही में गमाडा 65000 एकड़ और जमीन लेने जा रहा था, जिसे अकाली दल ने आंदोलन कर रुकवाया। गांव के ही बलजिंदर सिंह भागोमाजरा ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि अपने हक़ का भुगतान पाने के लिए लोगों को सालों अदालतों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। अधिकारी कोई परवाह नहीं करते। केवल अदालत के सख़्त आदेशों के बाद ही सरकार की नींद टूटती है। गांव के सुरमुख सिंह ने कहा कि चूंकि जमीन गमाडा ने अधिगृहीत की थी, भुगतान की जिम्मेदारी भी उन्हीं की है।

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