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सिद्ध हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायक डॉ मलकीत सिंह जंडियाला 18 जनवरी को टैगोर थिएटर में राग गायन की प्रस्तुति देंगे

चंडीगढ़, 15 जनवरी (ट्रिन्यू) प्रसिद्ध हिंदुस्तानी शास्त्रीय राग गायक डॉ. मलकीत सिंह जंडियाला 18 जनवरी शाम 6 बजे से चंडीगढ़ के टैगोर थिएटर में अपने भावपूर्ण ‘राग’ गायन से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने के लिए तैयार हैं। प्रस्तुति का आयोजन...
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चंडीगढ़, 15 जनवरी (ट्रिन्यू)

प्रसिद्ध हिंदुस्तानी शास्त्रीय राग गायक डॉ. मलकीत सिंह जंडियाला 18 जनवरी शाम 6 बजे से चंडीगढ़ के टैगोर थिएटर में अपने भावपूर्ण ‘राग’ गायन से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने के लिए तैयार हैं। प्रस्तुति का आयोजन प्राचीन कला केंद्र के साथ पोलो हिंदुस्तानी आर्ट हेरिटेज एंड कल्चरल ट्रस्ट द्वारा किया जा रहा है। अद्वितीय आगामी परफॉर्मेंस का विवरण यहां आयोजित एक प्रेस वार्ता में डॉ. मलकीत सिंह, प्रसिद्ध लेखक और संस्थापक, पोलो हिंदुस्तानी आर्ट हेरिटेज एंड कल्चरल ट्रस्ट अमरदीप सिंह दहिया और प्राचीन कला केंद्र के सचिव साजल कोसर द्वारा दिया गया।

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हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत कलाकार डॉ. सिंह को विभिन्न ‘रागों’ पर उनकी महारत और उनके प्रदर्शन में भावनाओं को शामिल करने की उनकी क्षमता के लिए जाना जाता है। यह एक प्रतिभाशाली वकील-सह-राग गायक डॉ. मलकीत द्वारा ‘रागों’ की एक अनूठी प्रस्तुति होगी।

अमरदीप सिंह दहिया, पोलो हिंदुस्तानी आर्ट हेरिटेज एंड कल्चरल ट्रस्ट के संस्थापक, ने कहा कि डॉ मलकीत का आगामी गायन मनोरम होने का वादा करते हैं क्योंकि वह दर्शकों को एक मधुर यात्रा पर ले जाएंगे, जो सीमाओं से परे है और शास्त्रीय संगीत के कालातीत सार के साथ गूंजता है। इस शाम का उद्देश्य युवाओं को भारतीय परंपराओं के बारे में जागरूक करना है, ताकि उन्हें मुख्यधारा में लाया जा सके और उन्हें समृद्ध भारतीय संगीत लोकाचार से जोड़ा जा सके।“ गौर तलब है कि पोलो हिंदुस्तानी आर्ट हेरिटेज एंड कल्चरल ट्रस्ट भारतीय कला रूपों को व्यापक दर्शकों के सामने लाने के लिए योमेन सर्विस कर रहा है । डॉ मलकीत जो हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में एमए और एम फिल और गुरमत संगीत में पीएचडी हैं, ने चारों 'वेदों’ पर गहन शोध किया है। उनके अनुसार, ‘रागों’ का पहला विवरण ’सामवेद’ में प्रलेखित है, जो एक ‘संगीतक’ ग्रंथ है। इसलिए ‘रागों’ का जन्म हजारों वर्ष पूर्व हुआ था।

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