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कहानी दरबार में सजी शब्दों और भावनाओं की महफिल

चंडीगढ़ साहित्य अकादमी (सीएसए) द्वारा शनिवार को आयोजित ‘कहानी दरबार’ में संवेदनाओं, कल्पनाओं और जीवन के अनुभवों का सुंदर संगम देखने को मिला। यह आयोजन अकादमी के चेयरमैन डॉ. मनमोहन सिंह और उपाध्यक्ष डॉ. अनीश गर्ग के सानिध्य में हुआ,...

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चंडीगढ़ साहित्य अकादमी (सीएसए) द्वारा शनिवार को आयोजित ‘कहानी दरबार’ में संवेदनाओं, कल्पनाओं और जीवन के अनुभवों का सुंदर संगम देखने को मिला। यह आयोजन अकादमी के चेयरमैन डॉ. मनमोहन सिंह और उपाध्यक्ष डॉ. अनीश गर्ग के सानिध्य में हुआ, जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ लेखक और कहानीकार गुलजार सिंह संधू ने की।

कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा कि कहानीकार में वह विलक्षण दृष्टि होती है, जो साधारण जीवन में भी असाधारण भावनाएं देख पाता है। उन्होंने कहा कि ‘कहानी दरबार’ जैसा आयोजन चंडीगढ़ के साहित्य प्रेमियों के लिए सौभाग्य है, जहां वे विद्वान रचनाकारों की कहानियां सुनकर संवेदना और सृजन की नई दिशा पा रहे हैं।

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सचिव सुभाष भास्कर ने जानकारी दी कि कार्यक्रम में सबसे पहले दिल्ली के लेखक केसरा राम ने कोरोना काल के अनुभवों पर आधारित कहानी प्रस्तुत की, जिसने महामारी के दौर की पीड़ा और मानवता को गहराई से दर्शाया। बहादुरगढ़ के वरिष्ठ कहानीकार ज्ञान प्रकाश विवेक ने अपने पात्र की शहर छोड़ने की विवशता को बेहद मार्मिक ढंग से पढ़ा, वहीं डॉ. राजेंद्र कुमार कनौजिया ने अपनी कहानी में ‘घर के मुख्य द्वार’ को ऐसा जीवंत पात्र बनाया, जो हर सुख-दुख का साक्षी बनता है।

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लेखिका सुनयना जैन ने अपनी अंग्रेजी कहानी ‘द पेशेन्स स्टोन’ में ‘आंटी जी’ जैसे सशक्त चरित्र के माध्यम से यह संदेश दिया कि आत्मविश्वास और धैर्य जीवन के सबसे बड़े संबल हैं। शायर और कहानीकार जितेंदर परवाज़ की कहानी ‘दीपू’ ने श्रोताओं को भावुक कर दिया। कहानी एक गरीब बच्चे की है, जिसे समाज की असमानता का सामना करना पड़ता है, लेकिन अंत में उसे ‘लक्ष्मण’ का किरदार निभाने का अवसर मिलता है और उसकी मेहनत रंग लाती है।

समापन पर उपाध्यक्ष डॉ. अनीश गर्ग ने कहा कि आज का ‘कहानी दरबार’ शब्दों और संवेदनाओं का उत्सव रहा। उन्होंने कहा कि हर कहानी में केवल घटनाएं नहीं, बल्कि जीवन की परछाइयां, रिश्तों की गहराई और समाज का यथार्थ झलकता रहा।

कार्यक्रम में जंग बहादुर गोयल, प्रो. अशोक सभ्रवाल, डॉ. परवीन कुमार, गुल चौहान, बलजीत, संतोष धीमान, प्रेम विज, डॉ. हरबंस कौर, दीपक चिनार्थल, अमनदीप सैनी, अश्विनी शांडिल्य, अशोक भंडारी, डॉ. दलजीत कौर, डॉ. शशि प्रभा, सुनीत मदान और डॉ. सुधीर बवेजा सहित अनेक साहित्यप्रेमी मौजूद रहे।

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