चंडीगढ़, 5 अप्रैल (ट्रिन्यू)
मेहर चंद महाजन डीएवी कॉलेज फॉर वूमेन में अर्थशास्त्र के स्नातकोत्तर विभाग ने ‘इंकम इनइक्वॉलिटी इन इंडिया : प्री एंड पोस्ट पैंडेमिक एरा’ पर विमर्श का ब्लेंडेड मोड में आयोजन किया। पंजाबी विश्वविद्यालय पटियाला में अर्थशास्त्र विभाग की प्रमुख प्रो. अनुपमा उप्पल प्रमुख वक्ता थीं।
सत्र का उद्घाटन करते हुए प्रधानाचार्या डॉ. निशा भार्गव ने विश्व असमानता रिपोर्ट 2022, एमपीआई रिपोर्ट और नीति आयोग की असमानता पर रिपोर्ट का हवाला देते हुए भारत में आय असमानता पर अंतर्दृष्टि प्रदान की।
उन्होंने कहा कि आय असमानता विभिन्न प्रकार की है जैसे सामाजिक, राजनीतिक और लिंग आधारित जो आर्थिक विकास के मार्ग में एक बाधा है। इस तथ्य की ओर इशारा करते हुए कि समय के साथ असमानता बढ़ी है, प्रो. अनुपमा ने भारत में आय में ‘के शेप’ आंदोलन के बारे में विस्तार से चर्चा की जिसके कारण एक प्रकार का अंतर पैदा होने के साथ-साथ वर्ग विभाजन भी पैदा हुआ है।
उन्होंने प्राइस और आइस के डेटा का हवाला देते हुए बताया कि यह भारत में गहरे वर्ग विभाजन का प्रतिनिधित्व करता है।
बिक्री गिरी, लाभ बढ़ा
महामारी से पहले और बाद के युग की तुलना करते हुए प्रो. अनुपमा ने इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि बिक्री गिर गई लेकिन महामारी के दौरान लाभ बढ़ गया क्योंकि सरकार ने कॉरपोरेट क्षेत्र को कर रियायतों से अधिक लाभ प्राप्त करने में मदद की लेकिन मजदूर वर्ग को अप्रत्यक्ष करों का अधिक भुगतान करना पड़ा। प्रो. अनुपमा ने वृहद आर्थिक परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने आने वाली चुनौतियों का उल्लेख किया।