चंडीगढ़ (ट्रिन्यू) :
जाने-माने साहित्यकार प्रो. सतीश वर्मा ने कहा है कि साहित्य जीवन की जीवंतता का आईना है। जीवन का उज्ज्वल पक्ष है। साहित्यकार जहां जीवन की राहें रचता है, वहीं पत्रकार जीवन के मैदाने जंग में नागरिक सरोकारों के लिये लड़ता है। सही मायनों में शब्दों पर अधिकार रचनाकर्म को रवानगी देता है। केंद्रीय हिंदी निदेशालय और साहित्य संगम के संयुक्त तत्वावधान में जीरकपुर के एक होटल के सभागार में आयोजित तीन-दिवसीय अखिल भारतीय सेमिनार के दूसरे दिन प्रो. सतीश वर्मा ‘साहित्य की भाषा और पत्रकारिता’ विषय पर व्याख्यान दे रहे थे। इससे पहले बंगलूरू से आये डॉ. रविन्द्र व मुंबई से आये गणेश रहाणे ने हिंदी पत्रकारिता के अतीत व वर्तमान और साहित्य के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। प्रो. योगेश्वर कौर ने साहित्यिक पत्रकारिता की विसंगतियों का जिक्र किया। कार्यक्रम के स्थानीय संयोजक व वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. फूलचंद मानव ने साहित्य की भाषा व पत्रकारिता विषय का परमार्जन किया।