पंचकूला (ट्रिन्यू) : संयुक्त किसान मोर्चा और सीटू के आह्वान पर आज राष्ट्रपति के नाम तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा गया। प्राप्त जानकारी के अनुसार जिला के मज़दूर, कर्मचारी व किसान सीटू ज़िला प्रधान रमा की अध्यक्षता में शहीद स्मारक पार्क सेक्टर 2 में इक्ट्ठा हुए। इसके बाद तहसीलदार विशाल सैनी ने मौके पर पहुंच कर राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन लिया। किसान सभा के जिला अध्यक्ष कर्मचंद ने कहा कि केंद्र व राज्य की भाजपा सरकार द्वारा जबरन किसानों का धरना समाप्त करने की योजना किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अगर जबरदस्ती की तो किसानों के साथ सीटू के लाखों मजदूर एवं परियोजना वर्कर किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आंदोलन में उतरेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों को अकेला समझने की भूल न करे। सीटू जिला सचिव लच्छी राम शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री कोरोना वायरस की दुहाई देकर किसानों का धरना उठाने की अपील करने की बजाय प्रधानमंत्री से कृषि संबंधी तीन काले एवं मजदूर विरोधी लेबर कोड्स खत्म करवाएं। एमएसपी की गारंटी दें और स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू करें। इस मौके पर सर्व कर्मचारी संघ के नेता श्रवण कुमार जांगड़ा, विजय पाल, रणधीर सिंह, रेहड़ी पटरी के नेता अमरनाथ वर्मा, रमा, रणधीर सिंह साथी आदि ने विचार रखे।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।