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भारत में प्री-मैच्योर जन्म के 30.2 लाख मामले दर्ज, जो दुनिया में सबसे अधिक

आईएमए में 'लिटल ब्रेव वारियर' - प्री-मैच्योर डिलिवरी की जागरूकता संगोष्ठी आयोजित
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चंडीगढ़, 22 सितंबर (ट्रिन्यू)

सेक्टर 35 में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने प्री-मैच्योर डिलिवरी की जागरूकता संगोष्ठी का आयोजन किया। आयोजक डॉ. नीरज कुमार, पूर्व अध्यक्ष इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और डायरेक्टर मदरहुड ने बताया कि भारत में प्री-मैच्योर डिलिवरी की दर औसतन 20 प्रतिशत अधिक है। हालांकि, नियोनेटल आईसीयू और वेंटिलेटर की नवीनतम तकनीकों के कारण 500 ग्राम तक के प्री-मैच्योर बच्चों को बचाना संभव हो गया है।

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उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य प्री-मैच्योर जन्मे बच्चों और उनके माता-पिता की सफलता की कहानियों को साझा करके अन्य युवा माता-पिता को जागरूक करना था।

मुख्य अतिथि डॉ. सद्भावना पंडित ने प्री-मैच्योर डिलिवरी के बारे में सुनकर डॉ. नीरज, डॉ. आशीष, डॉ. विमलेश सोनी, डॉ. नवदीप धालीवाल, डॉ. नीलू मल्होत्रा और पूरी टीम के प्रयासों की सराहना की।

डॉ. नीरज कुमार ने बताया कि 2020 में भारत में प्री-मैच्योर जन्म के 30.2 लाख मामले दर्ज किए गए, जो दुनिया में सबसे अधिक हैं। यह संख्या वैश्विक स्तर पर समय से पूर्व जन्म के कुल मामलों का 20 प्रतिशत से अधिक है।

द लैंसेट पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ), संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) और लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने बताया कि 2020 में दुनिया भर में समय से पहले जन्म के 50 प्रतिशत से अधिक मामले केवल आठ देशों में दर्ज किए गए, जिनमें भारत के बाद पाकिस्तान, नाइजीरिया, चीन, इथियोपिया, बांग्लादेश, कांगो और अमेरिका शामिल हैं।

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