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मनीमाजरा में 24 घंटे जल आपूर्ति ‘पायलट प्रोजेक्ट’ पूर्णत: विफल

समस्या समाधान टीम ने राज्यपाल से की परियोजना को समाप्त करने की मांग
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मनीमाजरा में लागू की गई 24 घंटे जल आपूर्ति की ‘पायलट परियोजना’ अब पूरी तरह विफल साबित हो चुकी है। समस्या समाधान टीम,चंडीगढ़ ने इस योजना को लेकर पहले ही चेतावनी दी थी कि यह परियोजना व्यवहारिक नहीं है और जनहित में भी नहीं। आज वही स्थिति उत्पन्न हो चुकी है कि जनता को लाभ मिलने के बजाय असुविधा बढ़ी है और करोड़ों रुपये का सरकारी धन व्यर्थ चला गया है। टीम ने इस विषय पर पंजाब के राज्यपाल, चंडीगढ़ प्रशासन को पत्र भेजकर परियोजना की तत्काल समाप्ति एवं स्वतंत्र जांच की मांग की है। समस्या समाधान टीम के क्रांति शुक्ला और मुकेश का कहना है कि यह योजना न तो जल आपूर्ति में सुधार ला सकी और न ही समान वितरण सुनिश्चित कर पाई। इसके विपरीत, नागरिकों को जल संकट और कम प्रेशर सहित बढ़े हुए पानी के बिलों जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

समस्या समाधान टीम से शिशुपाल ने बताया कि उन्होंने अपने इस पत्र में निम्न मुख्य बिंदुओं पर तत्काल कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि परियोजना पर खर्च की गई पूरी राशि का वित्तीय ब्यौरा सार्वजनिक किया जाए, जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय कर उनका स्पष्टीकरण मांगा जाए। जिन अधिकारियों के कार्यकाल में यह प्रोजेक्ट शुरू हुआ या जिनके अधीन यह चल रहा है, उनके कार्यों की विस्तृत जांच हो। यदि कोई अधिकारी हरियाणा या पंजाब से प्रतिनियुक्त है, तो उन्हें तब तक वापस न भेजा जाए जब तक जांच पूर्ण न हो जाए। परियोजना की स्वतंत्र जांच किसी निष्पक्ष एजेंसी या महालेखाकार से करवाई जाए, ताकि सत्य जनता के सामने आए।

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‘कार्रवाई सुनिश्चित करें राज्यपाल’

टीम सदस्य एके सूद और ओंकार सैनी ने यह भी सुझाव दिया कि यदि प्रशासन को जल सेवा में सुधार लाना है, तो नियमित रूप से सुबह, दोपहर और शाम दो-दो घंटे फुल प्रेशर से जल आपूर्ति दी जाए। यह व्यवस्था न केवल व्यावहारिक होगी बल्कि पारदर्शी भी। टीम ने इस बात पर भी जोर दिया कि सांसद मनीष तिवारी ने भी इस परियोजना की विफलता पर सवाल उठाए हैं और जांच की मांग की है। समस्या समाधान टीम, चंडीगढ़ ने कहा कि यह मामला अब केवल तकनीकी नहीं, बल्कि जनहित और जवाबदेही से जुड़ा मुद्दा बन चुका है। समस्या समाधान टीम से दिनेश दिलेरे और रमेश ने राज्यपाल महोदय से आग्रह किया है कि वे इस परियोजना पर तत्काल विराम लगाकर उचित कार्यवाही सुनिश्चित करें, ताकि भविष्य में इस तरह की त्रुटिपूर्ण योजनाओं से जनता और सरकारी संसाधन दोनों को बचाया जा सके।

 

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