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मोहाली के नशा मुक्ति केंद्र से भागे 23 कैदी, सुरक्षा कड़ी

वरिष्ठ प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों ने की समीक्षा बैठक
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मोहाली, 29 मई (हप्र )

सेक्टर-66 नशा मुक्ति केंद्र से हाल ही में 23 कैदी भाग गए, जिनमें से अधिकतर पर नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) एक्ट के तहत मामले दर्ज हैे। इससे स्वास्थ्य विभाग और पुलिस अधिकारियों के लिए खतरे की घंटी बज गई है। अधिकांश कैदी एनडीपीएस एक्ट के मामलों का सामना कर रहे थे। उनके पास थोड़ी मात्रा में नशीले पदार्थ पाए गए थे और उन्हें सुधार के लिए विशेष रूप से बनाए गए वार्ड में रखा गया था। वहीं कुछ अन्य ऐसे भी थे जो स्वैच्छिक उपचार करवा रहे थे। सूत्रों ने बताया कि कैदी कथित तौर पर खिड़की तोड़कर भाग गए। वरिष्ठ प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों ने नशा मुक्ति दवा केंद्र में सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की है। सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।

मामले के सभी जांच अधिकारियों को सूचित कर दिया गया है। केंद्र प्रभारी और उप चिकित्सा आयुक्त डॉ. परविंदर पाल कौर ने घटना पर कोई टिप्पणी नहीं की।

इस बीच, अधिकारियों ने कहा कि पुनर्वास प्रक्रिया जारी रहेगी क्योंकि पुलिस के पास कैदियों का पिछला इतिहास है और उनमें से कुछ का पता चल गया है। पुलिस अधिकारी इस बात पर चुप्पी साधे हुए हैं कि कितने लोग वापस आए हैं। चल रहे 'युद्ध नशे के विरुद्ध' अभियान के एक हिस्से के रूप में स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह ने राज्यसभा सांसद विक्रमजीत सिंह साहनी और मोहाली के विधायक कुलवंत सिंह के साथ 1 मई को सेक्टर 66 ओओएटी केंद्र को अपग्रेड किया था, जिसका नाम अब नशा मुक्ति दवाई केंद्र रखा गया है और कैदियों से बातचीत की। उन्हें अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए उपचार और पुनर्वास का आश्वासन भी दिया। यह केंद्र कैदियों को 2-3 सप्ताह का नशामुक्ति उपचार प्रदान करता है। इसके बाद, कैदियों को उसी परिसर के भीतर पुनर्वास सुविधा में स्थानांतरित कर दिया जाता है, जहां कैदियों को उनकी पसंद के आधार पर कंप्यूटर, मोबाइल फोन, बिजली के काम और खाना पकाने का कौशल प्रशिक्षण दिया जाता है। पंजाब में नशा मुक्ति केंद्रों में लगभग 2,500 मरीज हैं और राज्य में ऐसे 565 केंद्रों में 5000 बिस्तरों की क्षमता है।

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