18 साल की लड़ाई पर फिरा पानी, मोहाली में लौट रही गंदगी
संस्था के प्रधान बलदेव सिंह ने बताया कि वर्ष 2004 में इस डंपिंग साइट के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया था। 2012 में हाईकोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया, लेकिन प्रशासनिक सुस्ती के चलते 2024 में उन्हें पुनः अदालत का रुख करना पड़ा। इसके बाद ही डंपिंग ग्राउंड को बंद कराया जा सका। बलदेव सिंह ने जानकारी दी कि अदालत ने इस स्थल की निगरानी के लिए एक कमिश्नर नियुक्त किया है, जो प्रतिमाह रिपोर्ट प्रस्तुत करता है और समतलीकरण का कार्य अभी भी जारी है।
उन्होंने कहा कि हैरानी की बात यह है कि नगर निगम के पास पहले से 22–23 आरएमसी (रिसोर्स मैनेजमेंट सेंटर) हैं, फिर भी मुख्य सड़कों और खाली जगहों पर कूड़ा फेंका जा रहा है। यह स्थिति न केवल अदालत की अवमानना है, बल्कि क्षेत्रवासियों के वर्षों के संघर्ष का भी अपमान है।
इंडस्ट्रियल एरिया उपेक्षित, सफाई व्यवस्था चरमराई
नगर निगम के पूर्व पार्षद अशोक झा ने बताया कि फेज़-5 का आरएमसी पॉइंट पूरी तरह जर्जर हो चुका है। उनके अनुसार, यहां प्रतिदिन लगभग 50 टन कचरा लाया जाता है, लेकिन उसकी प्रोसेसिंग न के बराबर हो रही है। उन्होंने बताया कि इंडस्ट्रियल एरिया फेज़-8ए और 8बी की स्थिति तो और भी बदतर है। फुटपाथों पर घास और झाड़ियां उगी हुई हैं, और कई स्थानों पर जहरीले जीव-जंतु दिखाई दे रहे हैं। झा का कहना है कि न तो मैन्युअल सफाई हो रही है और न ही मशीनों के ज़रिए। शिकायतें करने के बावजूद अधिकारी कोई जवाब नहीं दे रहे। उन्होंने नगर निगम आयुक्त से अपील की है कि वह स्वयं हस्तक्षेप कर सफाई व्यवस्था को सुधारे। साथ ही चेताया कि यदि जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो वे इस मामले को लेकर न्यायालय में याचिका दाखिल करेंगे।