विवेक शर्मा/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 11 अप्रैल
पीजीआई के साइकेट्री विभाग को वर्ल्ड साइकेट्रिक एसोसिएशन के सहयोगी सेंटर के रुप में मंजूरी मिल गई है। चंडीगढ़ पीजीआई के साइकेट्री विभाग के हेड डॉ. देबाशीष बासु और एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉक्टर अफजल जावेद एवं अन्य विशेषज्ञों के साथ सोमवार को अपने पब्लिक मेंटर हेल्थ प्रोग्राम की जानकारी दी। डॉक्टर अफजल जावेद वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये शामिल हुए।
चंडीगढ़ पीजीआई के साइकेट्री विभाग के हेड डॉ. देबाशीष बासु ने कहा देश में 10.6 प्रतिशत लोग मानसिक रूप से बीमार हैं। देश की आबादी 1.40 अरब के लगभग है। आबादी के इतने बड़े हिस्से का व्यक्तिगत रूप से इलाज नहीं किया जा सकता। ऐसे में पब्लिक मेंटल हेल्थ जैसे पॉपुलेशन अप्रोच को लागू करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अधिकतर मानसिक रूप से बीमार लोगों को पता ही नहीं होता कि वह बीमार हैं। ऐसे में उन्हें मानिसक रोगों के लक्षणों और उपचार के बारे में बताने की आवश्यकता है। वर्ष 2016-17 के एक सर्वे के मुताबिक देश में मानसिक रुप से बीमार लोगों के इलाज का अंतर 70 से 90 प्रतिशत हो रहा है।
डॉ. देबाशीष ने कहा कि आंकड़ों के मुताबिक मानसिक रोग वैश्विक रोगों का 20 प्रतिशत है। जिंदगी भर चलने वाला मानसिक असंतुलन अकसर बालिग होने से पहले ही पैदा हो जाता है। यह व्यक्ति की सेहत, शिक्षा, नौकरी, सामाजिक रिश्तों आदि पर असर डालता है। इसके साथ ही यह अपराध, हिंसा आदि को बढ़ावा देता है। कोरोना महामारी जैसे संकट मानसिक असंतुलन की समस्या को और बढ़ाते हैं। पीजीआई के साइकेट्री विभाग में कोरोना से पहले साल में 10 हजार के लगभग मरीज आते थे।
पब्लिक मेंटल हेल्थ अप्रोच जरूरी
डा. देबाशीष बासु ने यह मेंटल हेल्थ से जुड़ा वैश्विक ढांचा है। यह सेंटर्स साइकेट्री की फील्ड के विकास और इससे जुड़े शैक्षणिक, रिचर्स पब्लिकेशन आदि प्रदान करे हैं। इसका उद्देश्य मेंटल हेल्थ को लेकर सभी स्तरों पर ह्यूमन रिसोर्स के विकास के लिए सहयोग देना है। पब्लिक मेंटल हेल्थ पॉपुलेशन अप्रोच के जरिए मेंटल हेल्थ विषय पर विचार करती है। डॉ. बासु ने बताया कि पब्लिक मेंटल हेल्थ अप्रोच को अपनाना बहुत ही ज़रुरी है। वैश्विक स्तर पर यह अंतर कम और सामान्य कमाई वाले देशों में साफ रूप से देखा जा सकता है। कम कमाई वाले देशों में मेंटल हेल्थ को लेकर कम जागरुकता और निवेश है।
2020-23 तक का एक्शन प्लान तैयार
पीजीआई की साइकेट्री विभाग सितंबर, 1963 में बना था। डा. देबाशीष बासु ने बताया कि एसोसिएशन एक वैश्विक स्तर का सहयोगी संगठन है। जिसका अपना एक मिशन है। दुनिया भर में इस वक्त 8 एसोसिएशन हैं। यह यूके, इजिप्ट, साउथ अफ्रीका, हांगकांग, केन्या, कतार, इटली और इंडिया में है। इंडिया में एसोसिएशन पीजीआई के अलावा बंगलुरु के एक सेंटर के साथ सहयोग ले रही है। इसका वर्ष 2020-23 तक का एक्शन प्लान भी है। इसके मुताबिक लोगों को जागरूक किया जाएगा।