मुंबई, 8 दिसंबर (एजेंसी)
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को उम्मीद के अनुरूप प्रमुख नीतिगत दर रेपो को चार प्रतिशत पर बरकरार रखा। कोरोना वायरस के नये स्वरूप ओमीक्रोन को लेकर अनिश्चितता के बीच आर्थिक वृद्धि को गति देने के इरादे से केंद्रीय बैंक ने लगातार नौवीं बार नीतिगत दर को रिकॉर्ड निचले स्तर पर कायम रखने का फैसला किया। 6 सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने आम सहमति से मानक ब्याज दर को चार प्रतिशत पर बरकरार रखने का निर्णय किया। एमपीसी के पांच सदस्यों ने जबतक जरूरत हो, उदार रुख को बनाये रखने के पक्ष में मतदान किया। यह बताता है कि मुद्रास्फीति के चिंताजनक स्तर पर नहीं होने से आरबीआई के लिये आर्थिक वृद्धि को गति देना फिलहाल ज्यादा महत्वपूर्ण है। एमपीसी ने पिछले साल अगस्त से नीतिगत दर में बदलाव नहीं किया है। इसके साथ ही रिवर्स रेपो दर को 3.35 प्रतिशत पर कायम रखा गया है। रेपो दर वह दर है, जिस पर केंद्रीय बैंक फौरी जरूरतों के लिये वाणिज्यिक बैंकों को सरकारी प्रतिभूतियों के एवज में कर्ज देता है। वहीं वाणिज्य बैंकों द्वारा रिजर्व बैंक पर जो जमा रखी जाती है, उस पर दिए जाने वाले ब्याज को रिवर्स रेपो दर कहा जाता है। केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2021-22 के लिये जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर के लक्ष्य को 9.5 प्रतिशत पर और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के अनुमान को 5.3 प्रतिशत पर कायम रखा है।
केंद्रीय बैंक ने कहा कि महामारी की दूसरी लहर से प्रभावित पुनरुद्धार फिर से गति पकड़ रहा है, लेकिन यह अभी आत्मनिर्भर और भरोसेमंद होने के लिहाज से मजबूत नहीं है। गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समीक्षा के बारे में जानकारी देते हुए कहा, ‘‘अर्थव्यवस्था में सुस्ती अभी दूर नहीं हुई है और विशेष रूप से निजी खपत और अन्य कई गतिविधियां अब भी महामारी-पूर्व के स्तर से नीचे हैं। ऐसे में मजबूत और व्यापक-आधार पर पुनरुद्धार के लिये के लिए निरंतर नीतिगत समर्थन की आवश्यकता है। ” आर्थिक वृद्धि के संदर्भ में केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिये जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर अनुमान को 9.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा। महंगाई दर के बारे में आरबीआई ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर उत्पाद शुल्क और वैट (मूल्य वर्धित कर) में कटौती तथा खाद्य तेल और दाल के मामले में सरकार की तरफ से उठाये गये कदमों को लेकर संतोष जताया।