नयी दिल्ली, 23 मई (एजेंसी)
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को बढ़ती मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने के लिये जून की शुरुआत में मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर में एक और वृद्धि का संकेत दिया है। खुदरा महंगाई दर पिछले 4 महीने से केंद्रीय बैंक के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है। दास ने एक न्यूज चैनल से बातचीत में कहा कि नीतिगत दर में वृद्धि की संभावना है, इसमें बहुत कुछ सोचने वाली बात नहीं है। लेकिन यह वृद्धि कितनी होगी, मैं इस बारे में कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं हूं। यह कहना कि यह बढ़कर 5.15 प्रतिशत हो जाएगी, संभवत: बहुत सही नहीं है। मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक 6-8 जून को होगी। गौरतलब है कि आरबीआई ने बिना किसी तय कार्यक्रम के इस महीने की शुरुआत में रेपो दर में 0.4 प्रतिशत की वृद्धि की। दास ने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 के लिये राजकोषीय घाटा 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान रखा गया है।
महंगाई को काबू लाने के लिए उठा रहे कदम
दास ने कहा कि रिजर्व बैंक और सरकार ने मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिये नये सिरे से समन्वित कदम उठाने शुरू किये हैं। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक ने पिछले 2-3 महीनों में मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिये कई कदम उठाये हैं। दूसरी तरफ, सरकार ने गेहूं निर्यात पर पाबंदी तथा पेट्रोल एवं डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती जैसे कदम उठाए हैं। दास ने कहा कि इन सब उपायों से बढ़ती महंगाई को काबू में लाने में मदद मिलेगी। सरकार ने रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति 2 से 6 प्रतिशत के दायरे में रखने की जिम्मेदारी दी हुई है। यह अभी इस दायरे से ऊपर है। ताजा आंकड़ों के अनुसार, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल में बढ़कर 7.79 प्रतिशत हो गयी।
उच्च तापमान से बढ़ेगी महंगाई : मूडीज
मूडीज इंवेस्टर्स सर्विस ने सोमवार को कहा कि लंबे समय तक उच्च तापमान भारत के लिए नुकसानदेह है, क्योंकि इससे महंगाई बढ़ सकती है और वृद्धि प्रभावित हो सकती है। मूडीज के मुताबिक दीर्घावधि में, भौतिक जलवायु जोखिमों के प्रति भारत के अत्यधिक नकारात्मक ऋण जोखिम का मतलब है कि इसकी आर्थिक बढ़त का अस्थिर होना। भारत को लगातार जलवायु संबंधी घटनाओं का सामना करना पड़ रहा है। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि वैसे तो भारत में गर्मी की लहर काफी आम हैं, लेकिन यह आमतौर पर मई और जून में अधिक होती हैं। मूडीज ने कहा कि लंबे समय तक उच्च तापमान देश के उत्तर-पश्चिम के अधिकांश हिस्से को प्रभावित करेगा, जिससे गेहूं उत्पादन पर असर पड़ सकता है।