संयुक्त राष्ट्र, 19 मई (एजेंसी) भारत ने अनाज की कीमतों में ‘अनुचित वृद्धि’ के बीच उसकी जमाखोरी और वितरण में भेदभाव पर चिंता व्यक्त करते हुए बुधवार को पश्चिमी देशों से आह्वान किया कि अनाज का बंटवारा कोरोना रोधी टीकों की तरह नहीं होना चाहिए। उसने कहा कि गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के उसके फैसले से यह सुनिश्चित होगा कि वह जरूरतमंद लोगों की जरूरतों को पूरा कर सकता है। विदेश राज्यमंत्री वी मुरलीधरन ने बुधवार को यहां कहा, ‘कम आय वाले विभिन्न वर्ग आज अनाज की बढ़ती कीमतों और उनकी पहुंच तक मुश्किल की दोहरी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। यहां तक कि पर्याप्त भंडार वाले भारत जैसे देशों ने खाद्यान्न में अनुचित वृद्धि देखी है। यह साफ है कि जमाखोरी की जा रही है। हम इसे ऐसे ही चलने नहीं दे सकते।’ मुरलीधरन ‘ग्लोबल फूड सिक्योरिटी कॉल टू एक्शन’ पर मंत्री स्तरीय बैठक में बोल रहे थे, जिसकी अध्यक्षता अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने की। यह बैठक ऐसे समय में हुई है, जब भारत ने गत शुक्रवार को झुलसाने वाली गर्मी के कारण गेहूं की कमी के बीच बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने की कवायद में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया। इस फैसले का मकसद गेहूं और गेहूं के आटे की खुदरा कीमतों को काबू में करना है, जो पिछले एक साल में औसतन 14 से 20 फीसदी तक बढ़ गयी है। साथ ही इसका उद्देश्य पड़ोसी और कमजोर देशों की खाद्यान्न आवश्यकताओं को पूरा करना है। विदेशी व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने पिछले सप्ताह एक अधिसूचना में कहा कि केंद्र सरकार की अनुमति के आधार पर गेहूं के निर्यात को मंजूरी दी जाएगी।