चंडीगढ़, 27 फरवरी (ट्रिन्यू)
मधुमेह के नियंत्रण में आयुर्वेदिक दवाओं पर शोध सीमित हैं, जिसके चलते उनका इस्तेमाल अभी भी सीमित है। लेकिन जो अध्ययन हुए हैं, वह दर्शाते हैं कि आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की कसौटी पर परखे गए आयुर्वेद के फार्मूले एलोपैथिक दवाओं से भी कहीं ज्यादा कारगर निकल रहे हैं। एक ताजा शोध में मधुमेह रोधी एलोपैथिक दवा सीटाग्लिप्टिन तथा आयुर्वेदिक दवा बीजीआर-34 का मधुमेह रोगियों पर प्रभाव देखा गया। साथ ही यह भी पाया कि बीजीआर-34 न सिर्फ मधुमेह रोगियों में शर्करा का स्तर कम करती है, बल्कि अग्नाशय में बीटा कोशिकाओं की कार्यप्रणाली में भी सुधार करती है।
पंजाब स्थित चितकारा विश्वविद्यालय के कालेज आफ फार्मेसी के शोधकर्ता रवीन्द्र सिंह के नेतृत्व में एक टीम ने मधुमेह से ग्रस्त सौ रोगियों पर चौथे चरण के क्लिनिकल ट्रायल कर यह निष्कर्ष निकाला है। बीजीआर-34 को वैज्ञानिक एवं औद्यौगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की लखनऊ स्थित दो प्रयोगशालाओं सीमैप एवं एनबीआरआई ने विकसित किया है तथा एमिल फार्मास्युटिकल ने इसे बाजार में उतारा है।